एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के दो दिवसीय संस्कार महोत्सव में हुआ भगवान लक्ष्मी-वेंकटेश का विवाहोत्सव
न्यूजवेव @ कोटा
एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के परंपरागत दो दिवसीय संस्कार महोत्सव में एक लाख कोचिंग विद्यार्थियों की मौजूदगी से शिक्षा, संस्कार व भक्ति का अनूठा महासंगम देखने को मिला। 14 व 15 नवंबर को कोटा में लैंडमार्क सिटी तथा जवाहर नगर स्थित एलन परिसर में आयोजित संस्कार महोत्सव में भक्ति की पाठशाला जीवंत हो उठी।
धर्म, धैर्य व ध्यान ही जीवन का आधार
श्री झालरिया पीठाधिपति जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी श्री घनश्यामाचार्यजी महाराज ने विद्यार्थियों को धर्म, धैर्य, ध्यान की सीख देते हुए कहा कि यह महोत्सव संस्कारों से जोडता है। संस्कार ही हमारे चरित्र को निर्मल रखते हैं, हमें कर्तव्यबोध कराते हैं। आज शिक्षा तो मिल रही है लेकिन संस्कार का हास हो रहा है जो मर्यादाओं के अनुकूल नहीं है।
विद्यार्थियों को सफलता का मंत्र देते हुए उन्होंने कहा कि छात्रों को पांच लक्षण ध्यान रखने होंगे। काग चेष्ठा, बको ध्यानम, श्वान निद्रा, अल्पहारी व गृहत्यागी अर्थात एक विद्यार्थी को कौए की तरह चेष्टावान और बगुले की तरह एकाग्र होना चाहिए। श्वान के समान संतुलित नींद लेनी होगी और सात्विक आहार लेना चाहिए और घर का मोह त्यागते हुए लक्ष्य के प्रति समर्पित हो जाएं। सात्विक आहार के साथ जो विद्या ग्रहण करते हैं, वही लंबे समय तक आपके पास रहती है।
ये रहे मौजूद
जिला कलक्टर ओम कसेरा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश योगेन्द्र कुमार पुरोहित, परिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश किशन गुर्जर, एडीजे-1 राजीव बिजलानी, जिला एवं सत्र न्यायाधीश बूंदी केशव कौशिक, रेलवे मजिस्ट्रेट कोटा रामकिशन शर्मा, जिला सत्र न्यायाधीश आर्थिक न्यायालय धर्मेन्द्र शर्मा ने भाग लिया। शास्त्रीय गायिका सूर्यागायत्री ने गुरूवंदना प्रस्तुत की तथा एलन के पूर्व छात्र पीयूष पंवार ने देशभक्ति गीत सुनाये। महोत्सव में श्री तिरूपति बालाजी का कल्याणोत्सव की तर्ज पर भगवान लक्ष्मी-वेंकटेश का विवाहोत्सव वैष्णव परंपरा से हुआ।
गाजे-बाजे से पधारो रंग जी आज
निदेशक गोविन्द माहेश्वरी ने गणपति वंदना से महोत्सव की शुरूआत की। एलन परिवार की मातुश्री श्रीमती कृष्णादेवी मानधना के सान्निध्य में निदेशक राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी व बृजेश माहेश्वरी ने भजन सरिता बहाई। जिस पर विद्यार्थी मंत्रमुग्ध होकर झूमते रहे। मनोहारी झांकियां और आकर्षक नृत्य के साथ रथ पर पुष्पवर्षा जारी रही। परिसर में गाजे-बाजे से पधारो रंग जी आज….., झुक जाओ श्रीरंग जी नाथ झुकनो पड़ सी.., छोटी-छोटी गईया छोटे छोटे ग्वाल.., छम-छम नाचे देखो वीर हनुमाना.. सहित कई भजनों पर विद्यार्थी झूमे।
यहां भगवान वेंकटेश और लक्ष्मीजी की भव्य सवारी ’गाजे-बाजे के साथ आई और भक्ति भजन गूंजे। गीतों के साथ परिसर तक सवारी पहुंची तो युवाओं का उत्साह हिलौरे लेने लगा। स्वर्ण मंगल गिरी में सुसज्जित भगवत विग्रह, राज्योपचार (छडी, छत्र, चंवर, झंडे, शंख चक्र आदि) से शोभायमान थे। इस पारंपरिक वातावरण में दुल्हे रूप में सजे शंख चक्रधारी भगवान श्रीवेंकटेश की एक झलक देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ती रही।