राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला
न्यूजवेव @ जयपुर
राजस्थान उच्च न्यायालय, जयपुर बैंच के न्यायाधीश डॉ.पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुये महत्वपूर्ण निर्णय दिया है कि राज्य सेवा में 13 मार्च,2006 के बाद प्रोबेशनरी ट्रेनी के रूप में भर्ती हुये समस्त कर्मचारियों को परिवीक्षा काल में फिक्स वेतन के साथ अन्य भत्ते भी दिये जायें।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता तिजारा (अलवर) निवासी मोहम्मद नसीम तिजारा तथा इदरीस खान बनाम सचिव, पंचायती विभाग, प्रमुख शिक्षा सचिव, प्रमुख सचिव, वित्त विभाग, निदेशक, प्राथमिक शिक्षा, बीकानेर व सीईओ जिला परिषद अलवर के प्रकरण पर सुनवाई करते हुये 20 अगस्त,2019 को यह अंतिम फैसला सुनाया।
निर्णय में कहा गया कि राज्य सेवा अधिनियम,1951 एवं राज्य सिविल सेवा संशोधित नियम,1999 के तहत 13 मार्च,2006 को जारी अधिसूचना के अन्तर्गत जिन कर्मचारियों को अधीनस्थ सेवाओं की चयन प्रक्रिया के बाद प्रोबेशनरी ट्रेनी (प्रशिक्षु कर्मचारी) के रूप में नियुक्त किया गया है,उनको भी नियमित कर्मचारियों के समान समस्त वेतनलाभ व परिलाभ दिये जायें। इसके तहत उन्हें मासिक फिक्स वेतन के साथ स्थायी कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, सीसीए, स्पेशल वेतन, प्रोजेक्ट भत्ता, मेस भत्ता, धुलाई भत्ता, क्लिनिकल या नॉन-क्लिनिकल भत्ता अथवा अन्य किसी भी प्रकार के देय भत्ते भी दिये जायें।
न्यायालय ने निर्णय दिया कि राज्य सेवा में नियमित अथवा प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत प्रोबेशनरी कर्मचारियों को पूरा वेतन लाभ नहीं देना असंवैधानिक है। इन भत्तों का परिवीक्षा काल की अवधि अथवा सफल प्रोबेशन अवधि से कोई संबंध नहीं है। ऐसे सभी प्रोबेशनरी ट्रेनी नियमित कर्मचारियों को दिये जाने वाले जीपीएफ, राज्य बीमा तथा टीए के लिये भी पात्र होंगे। इसके अतिरिक्त, स्थायी होने पर प्रोबेशनरी ट्रेनी अवधि को भी वार्षिक वेतन वृद्धि में शामिल किया जाये तथा आकस्मिक अवकाश भी नियमित कर्मचारियों के समान ही दिये जायें।