न्यूजवेव @ नईदिल्ली
दुुनिया में सबसे कठिन प्रवेश परीक्षा होने के बावजूद देश के आईआईटी संस्थानों में प्रतिवर्ष सीटें खाली रह जाने पर एमएचआरडी ने चिंता जताई है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 2013 से 2018 तक 6 वर्ष में 380 सीटें रिक्त रह जाने से नए संस्थानों की साख प्रभावित हुई है। आईआईटी में प्रतिवर्ष रिक्त सीटों की संख्या बढ़ने के बाद एमएचआरडी मंत्रालय ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट में रिक्त सीटों का ब्यौरा दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में 23 आईआईटी में 10,988 सीटें थीं, जिसमें से कुल 119 खाली रहीं। जेईई-एडवांस्ड,2018 में 23 आईआईटी में 11,961 सीटें थीं, जिसमें से बीटेक में कुल 108 खाली रहीं।
78,779 क्वालिफाई छात्रों ने परीक्षा नहीं दी
वर्ष 2017 में 2,21,834 विद्यार्थी जेईई-एडवांस्ड के लिये क्वालिफाई घोषित हुये थे, जिसमें से 1,59,540 ने ही परीक्षा दी थी। अर्थात् 62,294 ने परीक्षा नहीं दी। इसी तरह, वर्ष 2018 में 2,31,024 विद्यार्थी जेईई-एडवांस्ड के लिये क्वालिपफाई हुये, जिसमंे से 1,52,245 ने ही परीक्षा दी। अर्थात् 78,779 चयनित विद्यार्थी परीक्षा से अनुपस्थित रहे।
वर्ष रिक्त सीटें
2013 – 15
2014 – 3
2015 – 39
2016 – 96
2017 – 119
2018 – 108
जेईई-एडवांस्ड,2017 में काउंसलिंग के 7वें राउंड के बाद आईआईटी बीएचयू में सर्वाधिक 32 सीटें खाली रहीं। 2016 में आईएसएम, धनबाद को आईआईटी का दर्जा दिया गया, इसके बावजूद वहां 2016 व 2017 में 23-23 सीटें रिक्त रह गईं। आईआईटी, जम्मू में 13 तथा आईआईटी खडगपुर में 9 सीटें खाली रही। आईआईटी दिल्ली में 2016 व 2017 में 22 सीटें खाली रह गई थीं। आईआईटी, बीएचयू में इससे पहले 2013 में 4, 2014 में 3, 2015 में 28 तथा 2016 में 38 बीटेक सीटें खाली रही।
एनआईटी, ट्रिपल आईटी व केंद्रीय संस्थानों में 3099 सीटें खाली रही
वर्ष 2017 में जोसा की रिपोर्ट के अनुसार, काउंसलिंग के 6 राउंड के बाद भी 31 एआईटी में 1518 ( 8.43 प्रतिशत), 20 ट्रिपल आईटी में 407 (16.11 प्रतिशत), 18 केंद्र वित्तपोषित इंस्टीट्यूट में 1174 (31.03 प्रतिशत) सीटें खाली रहीं। जेईई-मेन से 92 ए ग्रेड तकनीकी संस्थानों में कुल 24,323 बीटेक व बीआर्क सीटों में से 21,224 पर एडमिशन हुए जबकि शेष 3099 सीटें खाली रह जाने से इतने विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित रह गए। मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी ने बताया कि आईआईटी, एनआईटी और केंद्र द्वारा वित्तपोषित अन्य प्रौद्योगिकी संस्थानों में सीटें खाली रहने की संख्या को न्यूनतम करने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने एक समिति गठित की है ताकि वह उचित उपायों की सिफारिश कर सके। आईआईटी काउंसिल कुछ ब्रांचों को बंद करने पर विचार कर रही है, जिनमें स्टूडेंट्स की रूचि नहीं होती है, और वे एनआईटी में एडमिशन लेना पसंद करते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ आईआईटी में इंडस्ट्री की डिमांड के अनुसार, नई ब्रांच खोलने पर भी विचार किया जा रहा है।
2017 में रिक्त सीटें एक नजर में-
इंस्टीट्यूट कुल सीटें भरी रिक्त
23 IIT 10,988 10,869 119
31 NIT 18,013 16,496 1518
20 IIIT 2,526 2,119 407
18 CFTI 3,784 2,610 1174
विशेषज्ञों का कहना है कि जेईई-मेन की काउंसलिंग के जुलाई में फाइनल राउंड के बाद अगस्त तक रिक्त सीटों के लिए ओपन राउंड होता है, तब तक परीक्षार्थी राज्यों के अन्य इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिला ले लेते हैं। काउंसलिंग में विलम्ब होने से सिक्किम, मणिपुर, मिजोरम, अरूणाचल प्रदेश, नागालैंड, पांडिचेरी व अगरतला जैसे पूर्वोत्तर राज्यों की एनआईटी में सीटें खाली रह जाती है।