मुसीबतों की बौछार- 10 से अधिक आवासीय बस्तियों में जलप्लावन के हालात ने सरकारी इंतजामों की पोल खोली
न्यूजवेव@ कोटा
कोटा शहर में पिछले दो दिनों में हुई मूसलाधार बरसात ने शहर के जनजीवन को हिलाकर रख दिया। कई आवासीय कॉलोनियों में घरों में नालियों का पानी घुस जाने से नागरिक परेशानियों से घिरे रहे। यह पहला मौका नहीं है जब कोटा में बरसात के दिनों में नगर निगम व यूआईटी की अव्यवस्थाएं सड़कों पर दिखाई दी हों। हर साल अतिक्रमण बढते जाने से बरसाती नालों से पानी का सही निकास नहीं हो रहा है।
शहर के अनंतपुरा, जवाहर नगर, बजरंग नगर, त्रिवेणी आवास, कोटिल्य नगर, सुभाष नगर, दादाबाड़ी हनुमान नगर, शिवपुरा, प्रेमनगर, कैथूनी पोल, किशोरपुरा, तलवंडी व विज्ञान नगर के कुछ हिस्से में रविवार को जलप्लावन का नजारा बना रहा। कॉलोनियांे में पानी घुस जाने की सूचना मिलने पर जिला प्रशासन, एसडीआरएफ व नगर निगम बाढ़ नियंत्रण कक्ष की टीमें सबसे पहले अनंतपुरा पहंुची। वहां तालाब के बीच पानी से घिरे मकानों में फंसे नागरिकों, महिलाओं व बच्चों को बोट के सहारे बाहर सुरक्षित स्थानों पर निकाला गया। जिला कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल ने खुद नाव पर सवार होकर अनंतपुरा तालाब में प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया।
रेस्क्यू टीम ने 500 से अधिक शहरवासियों को बचाया। जबकि सुरसागर में एक युवक की गाय को बचाने के प्रयास में करंट लगने से मौत हो गई। सोमवार शाम तक बरसात नहीं होने से नागरिकों ने राहत की संास ली। लेकिन स्मार्ट सिटी कोटा में कई मुख्य मार्गांे पर प्रमुख नालों व नालियों का दूषित पानी सड़कों पर बाढ़ की तरह बहकर घरों में घुसने से इंतजामों की पोल खुल गई।
यूडीएच मंत्री ने अतिक्रमियों को हटाने के निर्देश दिये
नगरीय स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के गृहनगर में पहली ही बरसात का तांडव देख सब चकित रह गये। नगर निगम, यूआईटी व अन्य विभागों ने बरसात से पूर्व नालों की सफाई करने में लापरवाही बरती जिससे डायवर्जल चैनल होने के बावजूद शहर में बरसाती पानी का तेज प्रवाह नहीं रोका जा सका। सोमवार को यूडीएच मंत्री धारीवाल ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि शहर में नालों पर अतिक्रमण व अवैध निर्माण करने वालो के खिलाफ अभियान चलाकर उन्हें तुरंत प्रभाव से हटाया जाये। लोगों नेे शिकायत की कि हर तरफ राजनीतिक संरक्षण से अतिक्रमियों ने कारोबार फैलाकर स्मार्ट सिटी को गांव जैसा बना दिया है।
लोकसभा अध्यक्ष ने चिंता जताई
लोकसभा अध्यक्ष व कोटा-बूंदी से सांसद ओम बिरला ने सोमवार को कोटा में बाढ़ के हालात जानकर जिला कलक्टर से जानकारी ली। उन्होंने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाकर भोजन, उपचार, कपडों आदि की व्यवस्था करने के निर्देश दिये। नागरिकों का कहना है कि शहर के मास्टर प्लान नालों को सुरक्षित बनाने में विफल रहे। शहर में चारों ओर सौंदर्यीकरण के निर्माण कार्य किये गये लेकिन मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी करने से जलप्लावन जैसी भयावाह तस्वीर देखने को मिली।
तालाबों में आ बसे, कैसे सुधरेंगे हालात
वरिष्ठ नागरिकों ने बताया कि शहर में वर्षों पुराने तालाबों में वर्षा जल का भराव होने से भूजल स्तर बढ़ जाता था लेकिन पिछले कुछ वर्षो में अनंतपुरा, छत्रपुरा, गणेश तालाब, कोटडी तालाब, सूरसागर तालाब, रामकंुड तालाब, रंग तालाब, फूल सागर, उम्मेदगंज तालाब, सागरिया तालाब, काला तालाब आदि में अतिक्रमण कर आवासीय कॉलोनियां काट दी गई। कोई भी प्रशासनिक अधिकारी अतिक्रमियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सके। नतीजन, शहर में भूजल स्तर गिरता जा रहा है तथा बरसात में इन तालाबों की बस्तियों में जलप्लावन के नजारे देखने को मिल रहे हैं। सवाल यह है कि स्मार्ट सिटी के मास्टर प्लान-2023 में नगर नियोजन के इन पहलुओं की अनदेखी किसने की है। शहर में 60 वार्डों से बढाकर 100 वार्ड बनाये जा रहे हैं लेकिन नगर निगम 12 लाख नागरिकों की मूलभूत सुविधाओं में नाले, नालियों व सीवरेज के दूषित पानी पर कोई ठोस कदम नहीं उठा सका। स्मार्ट सिटी के नाम पर करोडों रूपये के नये प्रोेजेक्ट चल रहे हैं, निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का सारा ध्यान निमार्ण कार्यों पर लगा रहा। मूलभूत समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई है। शहर मंे दूषित पानी, गंदगी के ढेर, सडकों पर आवारा मवेशियों के झुंड, अवरूद्ध नालियां स्मार्ट सिटी की जमीनी हकीकत हो बयां कर रही है।