Thursday, 12 December, 2024

यूडीएच मंत्री की होटल की पत्रावली तलब करने के लिये राज्यपाल से गुहार

पूर्व भाजपा विधायक प्रहलाद गुंजल का आरोप, मंत्री शांति धारीवाल मिथ्या दस्तावेजों के आधार पर पत्रावली में करवा रहे फेरबदल
न्यूजवेव @ कोटा

यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल की कोटा शहर में निजी नवरंग होटल के पट्टे का मामला तूल पकडता जा रहा है। कोटा उत्तर के पूर्व भाजपा विधायक प्रहलाद गुंजल ने आरोप लगाया कि मंत्री धारीवाल जयपुर में मिथ्या दस्तावेजों के आधार पर नवरंग होटल के पट्टे की पत्रावली में निगम अधिकारियों से फेरबदल करवा रहे हैं। उन्हें सूत्रो से पता चला कि धारीवाल ने नगर निगम अधिकारियों को पत्रावली के साथ जयपुर बुलाया है। वे दस्तवेजो में हेरफेर कर मिथ्या दस्तावेज तैयार करवा रहे हैं। पूर्व विधायक गुंजल ने राज्यपाल से कोटा में 100 करोड़ की कीमती जमीन पर कब्जा कर बनाई नवरंग होटल की पत्रावली तुरंत तलब किये जाने की मांग की है ताकि इसके दस्तावेजों में कोई फेरबदल नहीं हो सके।
उन्होंने कहा कि नगर निगम में चर्चा है कि होटल के कुछ विक्रय पत्र मिले हैं। जबकि वर्ष 1999, 2002 व 2005 में जब उक्त भूखंड की निर्माण स्वीकृति चाही गई थी, उस समय भी धारीवाल मंत्री थे लेकिन तब निगम में इस भूखंड से संबंधित कोई पत्रावली नहीं थी। उस समय निगम अधिकारियों ने मंत्री के दबाव में आकर यह निर्माण स्वीकृति पट्टा होने पर ही वैद्य मान जायेगी ऐसी मोहर लगाकर जारी कर दी थी। ऐसे में आज अचानक पत्रावली कैसे सामने आ रही है। उन्होने चेतावनी दी कि निगम अधिकारी जेरोक्स कागजों के आधार पर डमी पत्रावली तैयार करने का प्रयास नहीं करें। क्योंकि गलत पट्टा जारी करने से बड़ा अपराध गलत कागज तैयार करना है।
गुंजल ने कहा कि मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुये कहा कि पूर्व में भी धारीवाल पर एकल पट्टा प्रकरण का मामला राजस्थान हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं। जिसमे धारीवाल ने पद का दुरुपयोग करते हुए तथ्यों से छेड़छाड़ कर एफ आर लगवा दी थी जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज करते हुए पुनः जांच के आदेश दिए हैं। ठीक इसी तरह अब धारीवाल अपनी निजी नवरंग होटल की 100 करोड़ रुपए की कीमती जमीन पर कब्जे व मिथ्या दस्तवेजो के आधार पर पट्टा बनवाना चाहते हैं जो भ्रष्टाचार के साथ ही संगीन अपराध की श्रेणी में आता है।
गुंजल ने कहा कि निगम में 15 दिन पहले ही जमा हुई पत्रावली जिस पर निगम अधिकारियों ने सार्वजनिक विज्ञप्ति जारी कर आपत्ति मांगी थी तो फिर उसी पत्रावली को सूचना के अधिकार के अंतर्गत देने में निगम को इतना समय क्यों लग रहा है। जाहिर है, कोटा के नगर निगम अधिकारी विभागीय मंत्री के दबाव में काम कर रहे हैं। कांग्रेस शासन में सरकारी विभागों में पारदर्शिता की बजाय सूचना के अधिकार अधिनियम की अवहेलना की जा रही है। गुंजल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति का उल्लेख करते हुये सीएम से उक्त प्रकरण में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की।

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