नई राह: हायर एजुकेशन में होनहार स्टूडेंट्स आईआईटी, एनआईटी, एम्स, प्रीमियर मेडिकल काॅलेज तक सीमित न रहे, वे एक कदम आगे बढ़ाते हूए टाॅप रैंकिंग के साथ स्काॅलरशिप लेते हुुए ग्लोबल यूनिवर्सिटी में दाखिला ले रहे हैं।
अरविंद, कोटा। क्वालिटी एजुकेशन एक टेस्ट तक सीमित नही रहती, इन दिनों निरंतर मेहनत कर रहे होनहार विद्यार्थी कामयाब होकर ग्लोबल यूनिवर्सिटी में नक्षत्र की तरह चमक रहे हैं। विभिन्न शहरों में शांत शैक्षणिक वातावरण होने से कई छात्रों को इंटरनेशनल एक्सपोजर मिले। हर राज्य में छात्र पहले सपनों का कैनवास रचते हैं, फिर उसमें एक-दो वर्ष कड़ी मेहनत कर सफलता के रंग भरते हैं। यही वजह है कि अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए आज वे नेशनल व इंटरनेशनल काॅम्पिटिशन में नई पहचान बना रहे हैं। साधारण से असाधारण दिखने वाले ऐसे ही स्टूडेंट्स की कहानी-
एशिया की नंबर-1 नायांग टेक्नो यूनिवर्सिटी में उत्सव को मिला एडमिशन
कोटा का छात्र उत्सव सिंघल इस वर्ष एशिया नंबर-1 यूनिवर्सिटी सिंगापुर की नायांग टेक्नोलाॅजिकल यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल रैंक-13 पर कामयाब रहा। जेईई-एडवांस्ड में रैंक-385 के साथ एक अन्य एंट्रेस टेस्ट में शानदार रैंक मिलने से उसे चार वर्षीय यूजी कोर्स के लिए 50 प्रतिशत स्काॅलरशिप मिली। अब वह आईआईटी, मुंबई की बजाय दुनिया की टाॅप यंग यूनिवर्सिटी से बीटेक करेगा।
कोटा में 2 वर्ष निरंतर पढाई करते हुए जेईई-मेन के समय वह बीमार हो गया। तेज बुखार से उसका पेपर बिगड़ गया। एआईआर-6780 मिली, लेकिन वह हारा नहीं। उसे खुद पर भरोसा था। स्कूूल में पढ़ते हुए डिस्कवरी चैनल की टेरा क्विज काॅम्पिटिशन में उसनेे डिस्क थ्रो के सेमीफाइनल में क्वालिफाई किया था। न्यूक्लियस एजुकेशन में मेंटर टीचर विशाल जोशी की गाइडेंस में एक हार को ठुकराकर दोगुना हौसले से पढ़ा,जिससे उसे दोहरी सफलता मिली।
क्लास-8 से नेशनल काउंसलर नीलेश गुप्ता ने उसे प्रेरित किया। क्लास-10 में एनटीएसई स्काॅलर व क्लास-11 में केवीपीवाय में रैंक-37 मिली। दो बार अर्थ साइंस ओलिम्पियाड, एस्ट्रोनाॅमी व मैथ्स ओलिम्पियाड में सफल रहा। आईवायएमपी, लखनऊ की मैथ्स क्विज में उसकी टीम ने 3 गोल्ड व 1 ब्रांज मेडल जीते। पापा गोविंद प्रसाद सिंघल रेलवे में कोटा जंक्शन पर लोको कंट्रोलर हैं। मां उषा गोयल स्टाफ नर्स हैं।
कर्नेल यूनिवर्सिटी में अनुपेक्षा को 1.32 करोड़ की स्काॅलरशिप
स्कूल में ही जो स्टूडेंट लीक से हटकर अपनी रूचि का फील्ड चुन लेते हैं, वे उसी दिशा में कड़ी मेहनत करते हुए मंजिल को छू लेते हैं। इंद्रविहार, कोटा में रहने वाली अनुपेक्षा जैन ने ऐसा ही कर दिखाया। उसे काॅर्नेल यूनिवर्सिटी, यूएसए से 4 वर्ष के यूजी कोर्स के लिए 1.32 करोड़ रूपए की स्काॅलरशिप मिलेगी। क्लास-10 तक स्कूल में कैप्टेन रही अनुपेक्षा डीएवी स्कूल से साइंस मैथ्स की स्टूडेंट रही। आईआईटी में जाने की रूचि नहीं होने से कोचिंग नहीं ली और जेईई-मेन व एडवांस्ड टेस्ट भी नहीं दिए। एनटीएससी स्काॅलर व केवीपीवाय में चयनित होने के बाद उसने ठान लिया कि किसी टाॅप फाॅरेन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करेगी। पापा धर्मचंद्र जैन सीए तथा मंा श्वेता जैन केमिस्ट्री में एमएससी हैं। उन्होंने पूरा मोरल सपोर्ट दिया। क्लास-12 में उसे मैथ्स व बायोलाॅजी दोनों सब्जेक्ट पढ़कर 93 प्रतिशत माक्र्स अर्जित किए। वह एकाग्र होकर सेट के लिए सेल्फ स्टडी करती रही। सेट-1 तथा सेट-2 में उसने अच्छा स्कोर किया। इसके बाद एडवांस्ड प्लेसमेंट टेस्ट (एपीटी) में 3 से 5 तक स्कोर कर उसने कुल 23 क्रेडिट अर्जित किए।
काॅर्नेल यूनिवर्सिटी, यूएसए में 120 क्रेडिट का यूजी कोर्स होता हैं, जिसमें अनुपेक्षा को 23 क्रेडिट तथा ट्यूशन फीस में 90 प्रतिशत छूट के लिए स्काॅलरशिप मिली।
छुट्टियों में घर से की तैयारी
अनुपेक्षा ने बताया कि स्कूल में एडवांस्ड प्लेसमेंट टेस्ट (एपीटी) की तैयारी नहीं थी, इसलिए उसने कॅरिअर काउंसलर नीलेश गुप्ता की गाइडेंस में छुट्टियों में घर पर नियमित पढ़ाई की, जिससे पूरे साल का कोर्स 1 माह में पूरा कर लिया। एनजीओ से जुडकर उसने वाइटल बायोटेक में रिसर्च असिस्टेंट के रूप में कार्य किया। रिसर्च में रूचि होने से समर ब्रेक में वह प्योर एंड अप्लायड साइंस में रिसर्च वर्क कर रही है। यूजी के बाद चह आॅक्सफोर्ड या केम्ब्रिज से डाॅक्टरल डिग्री करेगी। फाॅरेन यूनिवर्सिटी में एक वर्ष की परफाॅर्मेंस को नहीं परखा जाता, बल्कि क्लास-8 से 12वीं तक मार्कशीट देखकर स्टूडेंट को स्कोर देते हैं।
यूनिवर्सिटी आॅफ पेनस्लिवेनिया में लक्ष्य को 2 करोड़ स्काॅलरशिप
इस वर्ष जेईई-एडवांस्ड की मेरिट में आॅल इंडिया मेरिट में रैंक-10 पर चयनित लक्ष्य शर्मा ने आईआईटी, बाॅम्बे की जगह यूएसए की यूनिवर्सिटी आॅफ पेनस्लिवेनिया को चुना। वहां से वह ड्यूल डिग्री कोर्स करेगा। इसी यूनिवर्सिटी में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने भी पढ़ाई की। इस ग्लोबल यूनिवर्सिटी से उसे लगभग 2 करोड़ रूपए स्काॅलरशिप मिली।
न्यूक्लियस एजुकेशन के मेंटर विशाल जोशी की गाइडेंस से फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ्स मजबूत हुई। इसी के दम पर उसे इस वर्ष फाॅरेन यूनिवर्सिटी के लिए टाॅफेल व सेट में फुल माक्र्स मिले। पापा केबी शर्मा कनाडा में चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। मां अलका शर्मा दो साल उसके साथ कोटा में रही। रिलेक्स होने के लिए वह सिंथेसाइजर बजाता है। डसने कहा कि देश के बेस्ट टीचर्स ने मेरे अंदर के गुणों को विकसित व पाॅलिश किया। फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ्स तीनों सब्जेक्ट में 800 में से 800 माक्र्स मिले।
क्लास-10 से सजल को 36 लाख की ग्लोबल सिटीजन स्काॅलरशिप
इरादों में दम हो तो उम्र से बडे़ सपने भी सच हो जाते हैं। कुछ ऐसा कर दिखाया क्लास-10 के छात्र सजल वैष्णव ने। भुवनेश्वर के सजल ने भीड़ से अलग चलने की राह चुनी। वह रेगुलर पढ़ाई के साथ इंटरनेट पर ग्लोबल कोर्सेस के लिए काॅम्पिटिशन टेस्ट को सर्च करता रहा। इस वर्ष सिंगापुर की ग्लोबल स्कूल फाउंडेशन द्वारा आयोजित ग्लोबल सिटिजन स्काॅलरशिप (जीआईआईएस) के लिए टेस्ट में अच्छा स्कोर किया। उसका क्लास-11 एवं 12 के लिए सिंगापुर के क्वीन्स टाउन फ्लेगशिप कैम्पस से स्काॅलरशिप प्रोग्राम में चयन हुआ। जिसमें दुनियाभर से चयनित टाॅपर्स को ग्लोबल एकेडमिक व कॅरिअर प्रोस्पेक्टस दिया जाता है। प्रत्येक स्टूडेंट को क्लास-11 व 12 के लिए 36 लाख रूपए स्काॅलरशिप दी जाती है। साथ में रिटर्न हवाईटिकिट, वीजा फीस, ट्यूशन फीस, हाॅस्टल सुविधा तथा प्रतिमाह पाॅकेट अलाउंस भी दिया जाता है।
इसलिए खास है जीआईआईएस
इस प्रतिष्ठित स्काॅलरशिप टेस्ट में चयनित स्टूडेंट्स को स्कूल टेस्ट की तैयारी करवाई जाती है ताकि उनका एकेडमिक प्रोफाइल तैयार हो सके। सिंगापुर में कोई कोचिंग नहीं दी जाती। हर स्टूडेंट के लिए नियुक्त काउंसलर उसे गाइड प्लान बनाकर देते हैं। काॅलेज से पहले क्लास-11 व 12 के लिए वहां सीबीएसई के जूनियर काॅलेज या आईबी डिप्लोमा कोर्स होते हैं।
79 वल्र्डक्लास यूनिवर्सिटी में भारतीय स्टूडेंट भी
गत 8 वर्ष में देश के 80 मेधावी स्टूडेंट्स को इंटरनेशनल रैकिंग के साथ 79 ग्लोबल यूनिवसिर्टी में एडमिशन मिले। हार्वर्ड, आॅक्सफोर्ड, स्टेनफोर्ड, एमआईटी, हांगकांग यूनिवर्सिटी, नेशनल यूनविर्सिटी, सिंगापुर में साइंस, इंजीनियरिंग, काॅमर्स व आटर््स आदि सब्जेक्ट के अंडरग्रेजुएट कोर्सेस में भारतीय विद्यार्थी 100 प्रतिशत स्काॅलरशिप अर्जित कर रहे हैं। खास बात यह कि फाॅरेन यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए केवल क्लास-12 में परफाॅर्मेंस न देखकर उसकी क्लास-8 से 12 तक परफाॅर्मेंस चेक की जाती है। डिग्री में उन्हे ग्लोबल एक्सपोजर मिलता है। यही वजह है कि इस वर्ष कुछ छात्रों ने आईआईटी छोड़कर फाॅरेन यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिए हैं।
– नीलेश गुप्ता, नेशनल काउंसलर, कोटा।