अगले माह से कोटा में मिलेगी सुविधा, ब्रेेन और बॉडी को मॉनिटर करती है पहली हियरिंग मशीन।
न्यूजवेव @ कोटा
लंबे समय से सुनने की क्षमता से परेशान लोगों के लिये खुशखबर। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जुडी पहली अत्याधुनिक हियरिंग मशीन लिवियो की सुविधा मई माह से कोटा में चालू की जा रही है। शीला चौधरी मार्ग स्थित कोटा हियरिंग सेंटर के ऑडियोलॉजिस्ट शुभम सिंह ने बताया कि लिवियो-एआई मशीन से नागरिकों को 14 तरह की सुविधाएं मिलेगी। यह मशीन हिंदी, इंग्लिश, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलगु, उड़िया आदि 27 लैंग्वेल को ट्रांसलेट करके सुनाएगी। दूसरी भाषा में बातचीत को अपनी भाषा में सुन सकेंगे। कान में घंटी बजने की परेशानी से निजात मिलेगी और स्पष्ट आवाज सुनाई देने लगेगी।
ब्रेन स्कोर, फाल अलर्ट जैसी सुविधाएं
उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिये यूएसए की लिविया-एआई हियरिंग मशीन से विद्यार्थियों का ब्रेन स्कोर भी किया जा सकता है। जैसे-क्लास में बैठे बच्चे का ब्रेन कितना काम कर रहा है। इस समय उसका ब्रेन कहां है। रोगी इसे इंटरनेट से जोडकर फोन पर बात भी कर सकते हैं। हृदयरोगियों के दिल की धडकन भी इससे पता चल जाएगी। अचानक रोगी को किसी भी स्थान पर हार्ट अटैक आ जाने पर कुछ सेकंड में ही उसका फाल अलर्ट परिजनों तक पहुंच जाएगा, जिससे उसे तुरंत इलाज मिल सकता है।
ऑडियोलॉजिस्ट ने बताया कि कोटा हियरिंग सेंटर पर रोगियों को सुनने की क्षमता बढाने के लिये 7 तरह की डिवाइस उपलब्ध हैं। इनमें केनाल में व कान के पीछे लगने वाली बीटीई मिनी, आरआईसी, आईटीई, आईटीसी, सीआईसी और आईआईसी जैसी छोटी डिवाइस सुनने की क्षमता को सामान्य कर देती है।
8 प्रतिशत आबादी बहरेपन की शिकार
नेशनल सेम्पल सर्वे के अनुसार, देश में 7 से 8 प्रतिशत आबादी बहरेपन की समस्या से जूझ रही है। एक लाख में से 290 लोगों में यह रोग सामने आ रहे हैं। चंडीगढ़ में हुए अध्ययन के अनुसार, रोज 2 से 4 घंटे लगातार मोबाइल यूजर्स में बहरापन तेजी से बढ़ रहा है। पहले 45-50 वर्ष की उम्र में कम सुनने की समस्या होती थी, लेकिन आज 25 वर्ष की उम्र से पहले हियरिंग प्रॉब्लम होने लगी है। स्मार्टफोन उपयोग करने वाले कोचिंग विद्यार्थियों ने बताया कि उन्हें क्लास में पीछे कम सुनाई देता है।
तेज हॉर्न से ट्रैफिक पुलिसकर्मियों में हियरिंग लॉस
सिंह ने बताया कि कान से सुनने की सामान्य क्षमता 25 से 30 डेसिबल होती है लेकिन तेज आवाज में रहने या नियमित शोरगुल के कारण हियरिंग लॉस होने लगता है। वाहनों के तेज शोर के कारण यातायात पुलिसकर्मियों में चिड़चिड़ापन होने लगता है। ड्यूटी से घर लौटकर वे इरिटेशन से ग्रस्त होते हैं। उनके लिये नॉइज क्रेकर आ गए हैं, जिससे वे शोरगुल व हार्न की तेज आवाज से खुद को बचा सकते हैं।