एक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार जल नेति (नेजो फ्रेरिन्जियल वॉश) कोविड-19 वायरस को नाक एवं गले में कम करने की आसान क्रिया है।
न्यूजवेव @ कोटा
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिये प्राकृतिक चिकित्सा की कुछ विधियां कारगर साबित हो रही है। कोरोना पर रिसर्च कर रहे विशेषज्ञ भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं। हाल ही में एलोपैथी चिकित्सकों ने दावा किया घर पर नियमित जलनेति क्रिया कर तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस संक्रमण को रोका जा सकता है। सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेजर सेन्टर कोटा के वरिष्ठ नेत्र सर्जर डॉ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि वे पिछले 2 माह से अस्पताल में मरीज देखने के बाद जल नीति, गरारे एवं भाप लेने की प्रक्रिया नियमित कर रहे है।
चिकित्सकों का मानना है कि नेजो फ्रेरिन्जियल वॉश, स्ट्रीम इम्यूनिलेशन एवं थ्रोट गरारे की प्रक्रिया रोज अपनाने से कोरोना के सुपर स्प्रेडर कम हो सकेंगे एवं 60 वर्षो से अधिक आयु वाले डायबिटिज हाइपरटेंशन रोगियों में वायरस फैलने का खतरा कम हो जायेगा। उन्होंने बताया कि इन दिनों डॉक्टर्स, चिकित्साकर्मी, पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टाफ पीपीई किट सहित अन्य सावधानियाँ रखने पर भी कोरोना पॉजिटव हो रहे हैं। उनके लिये यह घरेलू बचाव उपयोगी साबित होगा।
ऐसे करें जल नेति
जल नेति क्रिया में गुनगुने पानी में नमक डालकर एक बर्तन नेति पात्र का उपयोग करें। जल नेति के तहत नेज़ल पेशेज की सफाई के लिए नाक के छेद से हल्के नमक वाला गुनगुना पानी (हाइपरटोनिक सलाइन) नाक के एक छेद से प्रवेश कराते है ओर दूसरे छेद से बाहर निकालते हैं। जल नेति के दौरान मुँह से साँस लेना होता है। इस बात का खास ध्यान रखें कि जल नेति में लिया पानी फिल्टर (शुद्ध) हो। जल नेति पात्र को दूसरों से शेयर न करें एवं इसे साफ करके उपयोग में लें।
600 डॉक्टर्स ने जलनेति से खुद का बचाव किया
नेत्र सर्जन डॉ. विदुषी पाण्डेय ने बताया कि गुनगुने नमकीन पानी से जल नीति क्रिया नियमित रूप से नाक व गले में वायरस का लोड कम होता है। नाक की श्लेष्मा झिल्ली हाइपर टोनिक स्लाइन की क्लोराइट आयन को हाइपोक्लोरस एसिड में कनवर्ट करती है, जो एन्टीवायरल एजेन्ट के रूप में कार्य करता है। हाइपोक्लोरस एसिड ब्लीचिंग पाउडर का एक कम्पोनेन्ट है जो कि हाथ साफ करने के काम आता है। थ्रोट हाइजिन पद्धति वायरस रोकने के लिए जापान की नेशनल गाइडलाइन्स में भी शामिल की गई है। गौरतलब है कि दीनानाथ मंगेशकर हॉस्पिटल, पुणे में 600 चिकित्सक जो कोविड मरीजों की देखरेख कर रहे थे उन्होंने प्रतिदिन जलनेति करके खुद का बचाव किया। दूसरी ओर 18 चिकित्सक जो जल नेति नहीं कर रहे थे, वो कोविड-19 से संक्रमित हो चुके है।