RAS रीजनल बिजनेस मीट-2024 : मसाला उद्योग से जुड़े कारोबारियो ने किया मंथन, सरकार को दिये कुछ सुझाव
न्यूजवेव@कोटा
कोटा में राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस संस्था की दो दिवसीय रीजनल बिजनेस मीट में रविवार को मुख्य अतिथी उर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि मसाला उद्योग से जुड़े व्यापारियों, उद्यमियों और किसानों को फसलों के उत्पादन में बढ़ोतरी, क्वालिटी में सुधार के लिए मिलकर काम करने होंगे। ताकि हमारा क्वालिटी माल को विदेशों में अधिक से अधिक निर्यात किया जा सके। इससे यहां के किसानों, व्यापारियों को उसका फायदा मिल सके और रोजगार के नये अवसर पैदा हो सकेंगे। कार्यक्रम में मानपुरा के किसान पदमश्री हुकमचंद पाटीदार का सम्मान किया गया।
उन्होंने कहा कि कोटा में पहले लहसुन, सब्जी के रूप में परिभाषित था, इसके लिए कोटा के व्यापारियों, लोकसभा अध्यक्ष और हमने मिलकर प्रयास किया और लहसुन को मसाले की श्रेणी में जगह दिलाई, जिसका फायदा यह हुआ कि आज हमारे कोटा की भामाशाहमंडी में आज लहसुन की इतनी आवक होती है कि ऑफ सीजन में सीजन के बराबर की आमदनी व्यापारियों को होने लग गई। उन्होंने कहा कि मसाले प्राचीन काल से हमारे भोजन में शामिल हैं, उनके आयुर्वेदिक औषधि गुण हैं जो कि हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद हैं, व्यापारियों को उनके गुणों को भी प्रचारित करना चाहिए, ताकि लोग उन्हें औषधि के रूप में उनका सेवन करें। जिसका फायदा किसानों को भी होगा, बाजार में मांग बनी रहेगी जिससे भावों में अचानक से तेजी और मंदी नहीं आएगी।
रास के प्रदेश अध्यक्ष श्याम जाजू ने कहा कि राजस्थान में प्रतिवर्ष 12 हजार करोड़ रू के मसाले से जुड़ी फसलों का उत्पादन होता है, लेकिन यहां मंडी टैक्स अधिक होने से कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत कारोबार अन्य राज्यों में हो रहा है, जिसकी वजह से प्रदेश को बड़े राजस्व की हानि के साथ ही किसानों को भी नुकसान हो रहा है।
कोटा में खुले स्पाइस पार्क
कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ने कहा कि कोटा को उद्योग नगरी के रूप में पुनः पहचान मिले, इसके लिए कोटा में एग्रीकल्चर हब, स्पाईस पार्क व स्टोन पार्क की सौगात मिलनी चाहिए, इसके लिए कोटा के व्यापारी समय-समय पर अपनी मांग उठाते रहते हैं, सरकार को इस बारे में सकारात्मक पहल करनी चाहिए।
नये एग्रो उद्योगों से मिल सकता है बडा रोजगार
राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस (रास) के सचिव महावीर गुप्ता ने कहा कि मध्यप्रदेश और गुजरात की तर्ज पर राजस्थान सरकार मंडी टैक्स कम कर दे तो सरकार को तो करोड़ों रूपयों के राजस्व का फायदा होगा। साथ ही प्रदेश में मसाले से जुड़े नये उद्योग खुलने से बडी संख्या में नया रोजगार मिल सकेगा। किसानो को भी उनकी उपज का सही मूल्य मिलने के साथ ही दूसरे राज्यों में उपज ले जाने में खर्च भी बचेगा। इस बारे में सरकार को सकारात्मक रूप से मंडी टैक्स कम करने पर विचार करना चाहिए।
सेटेलाईट सर्वे से मिली फसल की हैल्थ रिपोर्ट
सेमीनार में रास संस्था द्वारा राजस्थान, गुजरात व मध्यप्रदेश के 18 जिलों के कराए गए सेटेलाइट सर्वे की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। जिसमें बताया गया कि संस्था द्वारा इन राज्यों में किसानों के खेतों का सर्वे कराया गया, इस तकनीक के माध्यम से यह फायदा होगा कि मसाला उद्योग से जुड़े व्यापारियों व कंपनियों व किसानों को यह अनुमान लग सकेगा कि कितना प्रोडक्शन होगा और डिमांड के अनुरूप कितना और बढ़ाना चाहिए। साथ ही सेटेलाईट सर्वे से किसानों को फसल के स्वास्थ्य की रिपोर्ट के साथ ही पौधे में रोग का कारण और उसका निवारण भी मिल सकेगा।
मसाला करोबार पर हुई पैनल चर्चा
संस्था सचिव महावीर गुप्ता ने कहा कि दूसरे दिन रविवार को मसालों पर परिचर्चा का आयोजन हुआ, जिसमें जीरा व धनिया उत्पादन एवं जैविक खेती तथा भावों के उतार चढाव पर चर्चा हुई। परिचर्चा में जी बिजनेस मुंबई के न्यूज एडिटर मृत्यंजय कुमार झा ने व्यापारियों के पैनल का संचालन किया। इस मौके पर कोटा से पूरण नागर, राजकुमार मित्तल, हेमंत जैन, कैलाश चंद दलाल, सत्यनारायण गुप्ता सहित बाहर से कई व्यवसायी शामिल रहे। समापन समारोह में रास द्वारा देशभर से आये सभी प्रतिनिधियों को स्मृति चिन्ह देकर उनका आभार व्यक्त किया गया।