न्यूजवेव@ खुजनेर
मालवा माटी के लोकप्रिय गौसेवक संत पं.कमल किशोर नागरजी ने कहा कि आजकल कई घरों में कलह बढने से महाभारत हो रही है। गृहस्थ जीवन में पति-पत्नी और संतान तीनों में ज्ञान हो, प्रेम हो, सहमति-समझौता हो, जहां हर अच्छे कार्य के लिये तीनों की हां में हां हो, अच्छाई का कोई विरोध न हो, वह परिवार भारत के सिक्के की तरह एकजुट दिखाई देता है, जिसमें शेर-शेरनी के चित्र एकजुट हैं। यही भारतीय परिवारों की पहचान है।
खुजनेर में श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ महोत्सव के अंतिम सोपान में संत नागरजी ने कहा कि मां के बिना बचपन सूना है, महात्मा के बिना जीवन सूना है और परमात्मा के बिना यह संसार सूना है। ईश्वर कभी किसी को इन तीनों से वंचित न रखे। जिस तरह मां के धक्के खाकर बच्चे बडे होते हैं, महात्मा के मार्गदर्शन से मनुष्य को सही रास्ते मिल जाते हैं।
एक प्रसंग में उन्होंने कहा कि जिसने तुम्हे कंचन काया दी है, उसकी भक्ति और सदकर्मांे में समर्पित कर दो। मन में कामना करें कि अगले जन्म में मनुष्य बनाये तो जिस बृज में तू वास करता है, वहां ग्वाल बना देना। गाय बनाओ तो वैसी जिसे तूने चराया है। पेड भी बनना पडे तो ऐसा, जिस पर बैठ तूने बंसी बजायी है। मुझे गिलास भी बनना पडे तो चांदी, तांबे-पीतल जैसा बनाना है, जिससे तुझे पवित्र जल चढे, मुझे डिस्पोजल गिलास जैसा जीवन मत देना। जीवन में अच्छे कर्मों से ही अच्छे कुल में आपका अगला जन्म होगा।
आग लगाने वालों को ठंडक देती है कथा
पूज्य पं. नागरजी ने कहा कि आज महंगाई का बहुत जिक्र है। लेकिन एक तीली से आग लगाने वाली माचिस वर्षों से बहुत सस्ती है। जबकि आग बुझाने वाला पानी महंगा हो गया है। परिवार, समाज में आग लगाने वाले बहुत मिलेंगे लेकिन कथा में अनुराग बरसने से व्यथा शांत हो जाती है। ईश्वर से प्रार्थना करो कि हे नाथ, सुख दे तो इतना कि मेरे पांव न छूटे और दूख दे तो इतना कि मेरा गांव न छूटे। मधुर भजन ‘ले चल तू अपनी नगरिया, इक बार सांवरिया..’ सुनाते हुये उन्होंने कहा कि जिस घर में निष्काम भाव से अतिथि आते हैं, वे भगवान समान हैं। आज कई घरों में माता-पिता के आंसू गिरते हैं, इसके कारण मत बनो। जिनकी तबीयत खराब हो उनसे सुबह-शाम मिलो लेकिन जिनका समय खराब चल रहा हो, उनसे तीन बार मिलो। श्रीराम, ठाकुरजी उनसे ज्यादा मिले, जिनका समय खराब था। अनाथ आश्रम जाकर गरीबों की सेवा करो।
…वो अपनी ‘काचरी’ छोड़ जाता है
संत नागरजी ने कहा कि जिस तरह नाग अपनी काचरी छोड़ चला जाता है, उसी तरह गिरधर नागर, महादेव, श्रीराम, हनुमान जैसे देवताओं ने भी भारत की भूमि पर काचरी रूपी चिन्ह छोडकर वृंदावन, मथुरा, नाथद्वारा, चरण चौकी, पंचवटी, ज्योर्तिंलिंग, रामेश्वरम, अयोध्या जैसे कई तीर्थों से भक्तों को जोड़ रखा है। नर्मदा का हर कंकर घर में आकर शंकर बन जाता है। रामायण, गीता जैसे ग्रंथों का कभी विरोध मत कीजिये। कथा में अंतिम सूत्र देते हुये उन्होंने कहा कि सबके जागने पर चोर खाली हाथ लौट जाता है, पकडा जाये तो मार खाता है। कथा में आपको माणिक मिले न मिले, भक्ति के चोर बनकर उससे कुछ पाने की आस रखो। वह अनुराग अवश्य बरसाता है। कथा आयोजक बृजमोहन अग्रवाल ने बाहर से आये सभी भक्तों का आभार जताया। खुजनेर में श्रीमद भागवत कथा में हजारों भक्तों की उपस्थिति से सात दिनों तक धार्मिक मेले जैसा उत्साह बना रहा।