Wednesday, 24 April, 2024

राज्य की पहली अमेरिकन स्पाइनल डिकम्प्रेशन मशीन कोटा में

‘रन अगेन’ एडवांस फिजियोथेरपी रिसर्च सेंटर पर रोगियों को पीठ, कमर दर्द व सर्वाइकल दर्द से मिल रहा छुटकारा
न्यूजवेव @ कोटा 

व्यस्त दिनचर्या के कारण पीठ या कमर में तेज दर्द, साइटिका या गर्दन में दर्द (सर्वाइकल पेन) या स्लिप डिस्क के कारण तकलीफ होने पर रोगी लंबे समय तक दर्द निवारक दवाइयों का सेवन करते हैं। साइड इफेक्ट होने से उनकी दूसरी परेशानियां भी बढ़ जाती है। ऐसे में राज्य की प्रथम अत्याधुनिक कम्प्यूटराइज्ड स्पाइनल डिकम्प्रेशन मशीन से उनका स्थायी इलाज संभव है।


मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के सामने आरोग्य नगर में ‘रन अगेन’ फिजियोथेरेपी रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ.नृपराज गोचर ने बताया कि शहर में अमेरिकन एडवांस नॉन इन्वेसिव स्पाइनल डिकम्प्रेशन मशीन के जरिये रोगियों को नियमित फंक्शनल एवं वर्चुअल फिजियोथेरेपी दी जा रही है, जिससे रोगी 15 से 30 दिन में पूरी तरह स्वस्थ हो रहे हैं। सेंसर द्वारा नियंत्रित यह मशीन रोगी के शरीर के अनुसार एंगल बदलकर डिस्क के बीच की दूरी को सही करके नर्व को सामान्य कर देती है।
अनुभवी न्यूरो फिजिशियन व न्यूरोसर्जन की सलाह पर उन्होंने मई,2019 से कोटा में इस आधुनिक मशीन से कम्प्यूटराइज्ड थेरेपी शुरू की। अब तक कमर दर्द (लम्बार) से पीड़ित रोगियों को 2604 तथा सर्वाइकल पेन रोगियों को 965 बार थेरेपी देकर स्वस्थ कर चुके हैं। अमेरिका में ऐसे रोगी जहां तीन माह नियमित थेरेपी लेते हैं, वहीं कोटा में एक से डेढ़ माह में रोगियों को राहत मिल रही है।
डॉ. नृपराज गोचर ने बताया कि रीढ़ की हड्डी पर अत्यधिक दबाव के कारण कई बार रोगियों में डिस्क निकलकर बाहर आ जाती है और नर्व सिस्टम को दबाने लगती है, जिससे महिलाओं व पुरूषों को चलने-फिरने व सोने में तेज दर्द होने लगता है। इस थेरेपी से रोगियों को दर्द निवारक गोलियों से भी छुटकारा मिल जाता है। लकवाग्रस्त रोगियों को ‘रन अगेन’ एडवांस फिजियोथेरपी सेंटर पर गेट रिहेब यूनिट तथा वर्चुअल थेरेपी की सुविधाएं भी दी जा रही हैं।
दवा से नहीं थेरेपी से ठीक हो रहे रोगी


केस-1 : विज्ञाननगर के रिटायर्ड पुलिसकर्मी भवानीशंकर को 8 वर्षों से पीठ व पैरों में तेज दर्द था, देशी इलाज के बाद इंदौर के चिकित्सकों से उपचार लिया लेकिन राहत नहीं मिली। ढाई माह पूर्व न्यूरोलॉजिस्ट डॉ.भारतभूषण ने जांच के बाद एडवांस फिजियोथेरेपी की सलाह दी। लिगामेंट प्रॉब्लम होने से दो माह तक रोज 2 घंटे इस मशीन से थेरेपी ली, जिससे पूरी तरह स्वस्थ हो गये हैं। इंदौर से एक चौथाई खर्च पर कोटा में स्थायी आराम मिला।
महिलाओं को दर्द से मिली राहत


केस-2 : लाडपुरा की 32 वर्षीया जीनत को 6 वर्ष से कमर व पैरों में तेज दर्द होने से चलने-फिरने में बहुत तकलीफ थी, पैर का पंजा सुन्न रहता था। आयुर्वेदिक इलाज के बाद एमबीएस हॉस्पिटल में उपचार से भी कोई राहत नहीं मिली। पिछले एक माह में उसे इस मशीन से थेरेपी लेने पर 90 फीसदी आराम हुआ है। अब वाहन भी चला सकती है। दर्द की गोलियां भी बंद हो गई है।
केस-3 : शिवपुरा में पॉलिटेक्नीक में गार्ड दिलीप सिंह की पत्नी संजू कंवर को कमर से नीचे पैर तक असहनीय दर्द था। वह सिलाई नहीं कर पाती थी। पिछले 36 दिन में उसने 18 बार इस मशीन से थेरेपी ली, जिससे 85 फीसदी आराम मिल चुका है। अब वह स्वस्थ महसूस कर रही है।
केस-4 : एडवोकेट जितेंद्र पाठक की पत्नी रितु ओपन यूनिवर्सिटी में लाइब्रेरियन हैं। उन्हें एक कदम चलने में भी बहुत तकलीफ थी। मेदांता हॉस्पिटल के सर्जन ने उन्हें ऑपरेशन की सलाह दी थी, जिससे उनके मन में डर था। उन्होंने कोटा आकर इस मशीन से थेरेपी ली और 9 दिन में ही इम्प्रूवमेंट महसूस किया। 15 दिन में 8 थेरेपी से उनकी ऑपरेशन टल गया। आज वे पूरी तरह फिट हैं।

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