न्यूजवेव@कोटा
जेके लोन महिला अस्पताल के आसपास बाहरी क्षेत्र में टूटी सडकें, गड्डों में भरा बरसाती पानी, गंदगी, पॉलिथीन कचरा और मलबे के ढेर यहां भर्ती रोगियों को संक्रामक मौसमी बीमारियां भी बांट रहे हैं।
रोगियों के परिजनों ने बताया कि बाहर गंदगी होने से रात में अस्पताल के वार्डों में मच्छरों का प्रकोप छाया रहता है। बाहर आने-जाने के लिये सडकें टूटी फूटी होने से गड्डों में पानी व कचरा भरा रहता है। बटावदा के मोतीलाल रैगर ने बताया कि अस्पताल परिसर के बाहर दुर्गंध फैलने के कारण मंुह ढककर दवाइयां लेने जाना पडता है। इससे अधिक सफाई हमारे गांव के अस्पताल में रहती है। सुल्तानपुर की महिला रोगी कमला की मां हेमलता मीणा ने बताया कि जेके लोन में भर्ती रोगियों को इस गंदगी के कारण बदबू झेलनी पड़ रही है। वार्डों में खिडकियां के शीशे टूटे हुये हैं। यहां कोई भी ध्यान देने वाला नहीं है।
रेडक्रॉस सोसायटी कोटा के सचिव रिछपाल पारीक ने बताया कि संभागीय मुख्यालय के जेके लोन अस्पताल में कोरोना काल में नये शिशु वार्ड का निर्माण कार्य तो हुआ लेकिन अस्पताल परिसर की सडकें पिछले 3 साल से नहीं बन सकी। जिससे बरसात में अस्पताल के बाहर, लेक्चर थियेटर और एमबीएस ब्लड बैंक तक आने-जाने वालों को कीचड व दुर्गंध का सामना करना पड रहा है। स्वच्छ कोटा अभियान में बजट आवंटन के बावजूद सबसे बडे़ सरकारी अस्पताल परिसर में साफ-सफाई नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। भर्ती रोगियों के परिजनों ने कहा कि इन दिनों डेंगू, मलेरिया, आईफ्लू जैसी संक्रामक बीमारियां फैल रही है। लेकिन सरकारी अस्पताल की मूलभूत नागरिक सुविधाओं पर किसी का ध्यान नहीं है, सिर्फ सौंदर्यीकरण पर ही सारा बजट खर्च हो रहा है।