ISTD कोटा चेप्टर द्वारा स्वर्ण जयंती वर्ष में ‘टेक्नोलॉजी ऑफ हैप्पीनेस’ पर हुई वर्कशॉप
न्यूजवेव @ कोटा
इंडियन सोसाइटी फॉर ट्रेनिंग एंड डवलपमेंट (ISTD) के स्वर्ण जयती वर्ष में 14 जून को फ्राइडे शेयरिंग सेशन का शुभारम्भ किया गया। कोटा चेप्टर और इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनीयर्स के सयुंक्त तत्वावधान में ‘टेक्नोलॉजी ऑफ हैप्पीनेस’ पर वर्कशॉप आयोजित की गई। मुख्य वक्ता कोटा चेप्टर के पूर्व चेयरमैन के.एम.टंडन ने कहा कि खुशी कोई लक्ष्य नहीं है बल्कि जीवनभर की एक सुखद यात्रा है। सुख-दुःख इस जीवन की फ्रीक्वेंसी में आने वाले ऐसे सिग्नल हैं जो क्षणिक हैं। हर व्यक्ति उतना खुश रह सकता है जितना वो चाहता है। याद रखने वाली बात यह है कि खुद को खुश रहने का दायित्व हमारे उपर ही होता है। कॉर्डिनेटर डॉ अन्नपूर्णा भार्गव ने बताया कि कोटा चेप्टर द्वारा प्रतिमाह निशुल्क फ्राइडे शेयरिंग सेशन का आयोजन होगा जिसमें समाज के सभी वर्गों के ट्रेनिंग एंड डवलपमेंट पर फोकस किया जाएगा। इसमें कोई भी भाग ले सकते हैं।
जहां सबके प्रति प्रेम का भाव, वहां नहीं कोई अभाव
उन्होंने कहा कि खुशी के लिए अनुशासित व स्वछंद जीवन निर्वहन आवश्यक है। इसके लिए कुछ न कुछ करने योग्य होना चाहिए। लोगों से रिश्ते प्रगाढ़ होने चाहिए और सोच सकारात्मक होनी चाहिए। कोई सामाजिक सरोकार हो तो प्रसन्नता कई गुना बढ सकती है। सबके प्रति प्रेम का भाव हो तो जीवन में कोई अभाव नहीं हो सकता। टंडन ने कहा कि खुश व्यक्ति स्वयं को भूलकर दूसरों के लिए समर्पित हो जाता है। दुखी व्यक्ति इसके विपरीत आत्मकेंद्रित हो कर अवसाद में चला जाता है। ऐसे में नियमित व्यायाम करें, इच्छाओं को सीमित करें और वर्तमान में जिएं। भूतकाल की त्रुटियों को भुला दें और भविष्य की अधिक चिंता न करें। अधिक देर तक आक्रोश मेें न रहें। भरपूर नींद लें और जीवन की खुशनुमा यात्रा हँसते गाते बिताते चलें।
वर्कशॉप में आर्ट ऑफ लिविंग की ट्रेनर उषा वाधवा ने विभिन्न प्राणायाम और मेडिटेशन के माध्यम से खुश रहने के आसान तरीके बताये। उन्होंने कहा कि सुदर्शन क्रिया को अपनी दिनचर्या में शामिल कर हम खुश रहने के साथ उर्जावान भी बने रह सकते है। सचिव डॉ अमित राठौर ने आभार जताया। डॉ. अन्नपूर्ण भार्गव ने संचालन किया। वर्कशॉप में अशोक सक्सेना, नरेन्द्र शुक्ला और सी.के.एस. परमार ने भी विचार रखे।