-बोर्ड में 75 प्रतिशत की पात्रता और टॉप-20 पर्सेन्टाइल का प्रावधान गायब होने का मामला
-डिजीटल सत्याग्रह प्रारंभ, कानून की शरण में भी जाएँगे
न्यूजवेव कोटा.
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने जेईई-मेन,2023 के ऑनलाइन आवेदन की शर्तों में बड़ी चूक कर दी है। जेईई-एडवांस्ड के लिए बोर्ड में 75 प्रतिशत अंकों की पात्रता और संबंधित बोर्ड के टॉप-20 पर्सेन्टाइल का प्रावधान नहीं होने से हजारों अभ्यर्थी असमंजस में हैं। इसके विरोध मंे देशभर में डिजिटल सत्याग्रह शुरू किया गया है। कोचिंग संस्थान विद्यार्थी हित में कानून की शरण में भी जाएंगे।
मोशन एजुकेशन के फाउंडर और सीईओ नितिन विजय ने बताया कि वर्ष 2020, 21 और 22 में एनटीए ने 12वीं के बच्चों को इस नियम से छूट दी थी। परीक्षा देने वाले यह नहीं जानते थे कि अगले साल इस नियम में छूट नहीं मिलेगी या नहीं। इस आधार हजारों विद्यार्थियों ने ड्राप लेकर इस पूरे सत्र में तैयारी की थी। अब पता चल रहा है कि वे दौड़ से ही बाहर हो गए हैं। यदि ऐसा ही करना था तो उनको पिछले साल ही इसके बारे में स्थति स्पष्ट कर देनी चाहिए थी। हमारी मांग है कि बोर्ड में 75 प्रतिशत की पात्रता और टॉप-20 पर्सेन्टाइल का प्रावधान इस साल लागू नहीं किया जाये।
याद रहे, एनटीए की इस चूक से हजारों बच्चों के सपनों पर पानी फिर सकता है। इसलिये कोटा से छात्रहित में डिजिटल सत्याग्रह प्रारंभ कर रहे हैं। जिन बच्चों के साथ गलत हुआ, वे अपनी आवाज उठाएं। कोचिंग संस्थान विद्यार्थियों को न्याय दिलाने के लिये कानून की शरण में भी जाएँगे।
तीन वर्षों से रियायत थी, अब क्यों नहीं
सीईओ नितिन विजय ने स्पष्ट किया कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से एनआईटी-ट्रिपलआईटी और जीएफटीआई की काउंसलिंग संस्था सीएसएबी द्वारा प्रवेश बोर्ड पात्रता सामान्य, ईडब्ल्यूएस और ओबीसी के लिए 75 प्रतिशत, एससी-एसटी के लिए 65 प्रतिशत अनिवार्य होना बताया गया है, जबकि पिछले तीन सालों में इस बोर्ड पात्रता से रियायत दी जा रही थी। इसके अतिरिक्त साल 2019 तक उपरोक्त पात्रता के साथ-साथ छात्रों को कैटेगिरी अनुसार संबंधित बोर्ड की टॉप-20 पर्सेन्टाइल के आधार पर भी आईआईटी-एनआईटी में प्रवेश के लिए योग्य माना जाता था, लेकिन इस साल इनफोर्मेशन बुलेटिन में से टॉप-20 पर्सेन्टाइल बोर्ड पात्रता का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
देश के कई राज्यों में बोर्ड परीक्षाएं इतनी कठिन होती हैं कि उनमें 75 प्रतिशत अंक लाना आसान नहीं है। ऐसे में बोर्डं की टॉप-20 पर्सेन्टाइल 75 प्रतिशत के मुकाबले कम जाती थी और छात्र टॉप-20 पर्सेन्टाइल योग्यता क्वालीफाई कर आईआईटी-एनआईटी में प्रवेश ले पाता था। उदाहरण के लिए असम जैसे राज्य में 60 प्रतिशत अंक लाने वाले भी टॉप-20 पर्सेन्टाइल आ जाते हैं। ऐसे में देश के हजारों छात्र असमंजस में हैं, जिनकी बोर्ड पात्रता 75 प्रतिशत और कैटेगिरी अनुसार 65 प्रतिशत नहीं आ पाई है, क्योंकि इन छात्रों के पास संबंधित बोर्ड से इम्प्रूवमेंट का विकल्प भी निकल चुका है।