Thursday, 12 December, 2024

संस्कृति को आत्मसात् करने के लिए संस्कृत जरूरी – दिलावर

राज्य स्तरीय विद्वत सम्मान समारोह में संस्कृत संरक्षण संवर्धन के लिए प्रतिभाएं व संस्थाएं सम्मानित
न्यूजवेव@ कोटा

संस्कृत दिवस पर सोमवार को राज्य स्तरीय विद्वत सम्मान समारोह यूआईटी ऑडिटोरियम में मंत्रोच्चार, संस्कृत गायन, वाचन के पवित्र वातावरण में आयोजित हुआ।
मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि भारतीय संस्कृति को आत्मसात् करने के लिए संस्कृत का ज्ञान आवश्यक है। संस्कृत से संस्कारवान मनुष्य सही राह पर चलते हैं जबकि संस्कृत और संस्कृति विहीन पशुत्व की ओर जाते हैं। उन्होंने शिक्षकों का आव्हान किया कि वे विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ संस्कार भी दें। राज्य सरकार द्वारा संस्कृत को जन भाषा बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने आव्हान किया कि पर्यावरण और गौवंश के संरक्षण के लिए पॉलिथीन के उपयोग को वर्जित करें। साथ ही, गोपालन कर पंचगव्यों को अपनाएं।
अध्यक्षता कर रहे ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि संस्कृत केवल भाषा ही नहीं बल्कि संस्कृति की संवाहक है। इसके विस्तार की महती आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का हमारा संकल्प और भारत की पुनः विश्व गुरू के रूप में प्रतिष्ठापना संस्कृत के सानिध्य से ही संभव है। विशिष्ट अतिथि कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन का आव्हान किया।
संस्कृत को रोजगार दायिनी बनाना होगा


अतिथि अध्यक्ष भारतीय भाषा-समिति, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार पद्मश्री चमूकृष्ण शास्त्री ने कहा कि विकसित भारत का संकल्प साकार करने के लिए संस्कृत के प्रयोग क्षेत्र को बढ़ाना होगा। संस्कृत को न्याय, विज्ञान, तकनीक, उद्योग, वाणिज्य सभी क्षेत्रों की भाषा बनाना होगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत शिक्षा को आंकाक्षी और रोजगारदायिनी तथा कौशल संवर्धन का जरिया भी बनाया जाए, इंटर्नशिप की भी व्यवस्था हो ताकि नई पीढ़ी इससे जुड़ सके। रामदास महाराज लटूरी वाले ने संस्कृत की महिमा का बखान करते हुए नई पीढ़ी से जुड़ाव की आवश्यकता बताई।
इस अवसर पर आयुक्त संस्कृत शिक्षा विजयपाल सिंह, संयुक्त शासन सचिव कैलाश चंद यादव, संभागीय आयुक्त उर्मिला राजोरिया एवं अन्य गणमान्य उपस्थित रहे। समारोह में जानकी नाथ रेवासाधाम पीठाधीश से महंत डॉ. राघवाचार्य वेदांती को श्रद्धांजलि दी गई। संचालन डॉ. हंसराज गुप्ता एवं डॉ. शिवचरण शर्मा ने किया। इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा संस्कृत गीतों का सुमधुर गायन किया गया। संस्कृत में समाहित ज्ञान की झलक प्रदर्शनी के माध्यम से दिखाई।
संस्कृत के संरक्षण-संवर्धन पर हुआ सम्मान
संस्कृत साधना शिखर सम्मान अटरू बारां के बाबा श्री निरंजन नाथ मान्यागढ़ को राशि एक लाख से सम्मानित किया गया। संस्कृत साधना सम्मान 51 हजार रूपये से प्रो. गणेश लाल सुथार जोधपुर तथा प्रो. श्री कृष्ण शर्मा जयपुर को नवाजा गया। संस्कृत विद्वत सम्मान 31 हजार की राशि से माणक चन्द सोनी चेचट डॉ. कैलाश चन्द बुनकर जयपुर, डॉ. छाजूराम गुर्जर जयपुर, बहादुर सिंह गुर्जर सवाईमाधोपुर, डॉ. भगवती शंकर व्यास उदयपुर, डॉ. बाबूलाल मीना भरतपुर को सम्मानित किया गया। संस्कृत युव प्रतिभा पुरस्कार राशि 21 हजार से उर्मिला बैरवा, डॉ. कृष्णा शर्मा, डॉ. जितेन्द्र कुमार गौतम, डॉ. दिनेश यादव, डॉ. नानूराम जाट, बुद्धीप्रकाश जांगिड़, डॉ. राकेश कुमार जैन, डॉ. रामेश्वर दयाल शर्मा, डॉ. शशि कुमार शर्मा, डॉ. सुभाष चन्द मीणा, डॉ. घनश्याम हरदेनीया, प्रशांत शर्मा, मंत्रालयिक सेवा सम्मान 11 हजार रूपये राशि से गणपत लाल तथा गीता भम्भाणी को सम्मानित किया गया।
विशिष्ट सम्मान महंत अंजन कुमार गोस्वामी गोविंद देव जी मंदिर जयपुर, कुमार तोषनीवाल पुष्कनारायण तोषनीवाल चेरीटेबल ट्रस्ट, चन्द्रशेखर शारदा, देवनारायण जैमन, प्रियव्रत चारण, कुल सचिव ज.रा. राजस्थान संस्कृत विश्व विद्यालय जयपुर, डॉ. ज्योत्सना सिखवाल, निदेशक विश्व भारती महा विद्यालय सीकर, ओमप्रकाश गुप्ता अध्यक्ष केशव विद्यापीठ जयपुर, शिवा सरस्वती, डॉ. हेमा सरस्वती, सनातन पुरी थेगड़ा धाम, रामदास महाराज सांगोद, घनश्याम शर्मा कोटा, नरोत्तम पुजारी सालासर बालाजी धाम को सम्मानित किया गया।

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