राष्ट्रपति ने इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (संशोधन) अध्यादेश , 2018 को दी मंजूरी
न्यूजवेव @ नईदिल्ली
महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आज 7 जून को दिवालिया एवं शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2018 को घोषित करने की मंजूरी दे दी।
घर खरीदने की स्थिति में खरीददार को वित्तीय लेनदार के रूप में मान्यता प्रदान कर बड़ी राहत देगा। यह उनको लेनदार समिति में वांछित प्रतिनिधित्व प्रदान करेगा एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण भाग बनाएगा। यह घर खरीदने वालों को पथभ्रष्ट भवन निर्माताओं के विरुद्ध दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी), 2016 की धारा 7 का इस्तेमाल करने का अधिकार भी देगा।
छोटे, लघु एवं मध्यम क्षेत्र के उद्यमियों को इससे लाभ होगा। यदि प्रमोटर इरादतन बाकीदार नहीं है या अन्य अयोग्यता वाला नहीं है तो कॉर्पाेरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के दौरान उसे अयोग्य करार नहीं दिया जाएगा। केंद्र सरकार जनहित में एसएसएमई क्षेत्र से संबंधित छूट दे सकती है।
सीआईआरपी की शुचिता की रक्षा करने के लिये अध्यादेश में प्रावधान है कि आवेदक किसी ऐसे मामले को वापस लेना चाहे, जो आईबीसी 2016 के अंतर्गत स्वीकृत हो तो एक सख्त प्रक्रिया का पालन करना होगा। तत्पश्चात मामले की वापसी लेनदार समिति द्वारा 90 प्रतिशत मतदान से स्वीकृत होने पर ही लागू होगी।
दूसरे शब्दों में, रुचि-प्रकटन (ईओआई) एवं बोली की कॉमर्शियल प्रक्रिया शुरू होने पर मामले की वापसी नहीं होगी। कॉर्पाेरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया के लिये आवश्यक प्रक्रियाओं एवं कार्यपद्धतियों को निर्धारित कर नियमन अलग से स्पष्टता प्रदान करेंगे।
कुछ विशेष विषय जिनका समाधान होगा, उनमें देरी से आई बोलियों पर कोई विचार न किया जाना, देरी से बोली लगाने वालों से कोई वार्ता न होना एवं परिसम्पत्तियों के मूल्यवर्द्धन की श्रेष्ठ प्रक्रिया शामिल हैं।
समाधान को प्रोत्साहन देने से सभी बड़े निर्णयों जैसे समाधान योजना का स्वाकरण, सीआईआरपी अवधि का विस्तार इत्यादि के लिये वोटिंग की सीमा 75 प्रतिशत से घटाकर 66 प्रतिशत कर दी गई है। इसके अतिरिक्त दिवालियापन समाधान प्रक्रिया के दौरान कॉर्पोरेट कर्जदार की सहायता के लिये सामान्य फैसलों हेतु मतदान सीमा 51 प्रतिशत कर दी गई है ।
संहिता की धारा 29(क) में अयोग्यता के लंबे चौड़े प्रावधानों के मद्देनजर अध्यादेश में प्रावधान है कि आवेदक बोली लगाने की अर्हता प्रमाणित करने वाला शपथपत्र जमा कराएगा। इससे अर्हता प्रमाणित करने का प्राथमिक उत्तरदायित्व समाधान-आवेदक पर होगा।
दिवालिया होने पर लेनदारों को लौटानी होगी राशि
दिल्ली के इंसोल्वेंसी प्रोफेशनल सीए मनीष कुमार गुप्ता के अनुसार, ऐसे व्यापारी जो बैंकों व विभिन्न संस्थाओं या फर्मों या व्यापारियों से पैसे लेकर भाग जाते हैं, उन पर शिकंजा कसने के लिए इंसॉल्वेंसी एक्ट, 2016 में संशोधन कर इसे और प्रभावी बनाया गया है।
उनका इस तरह से भागना अब संभव नहीं होगा। कोई भी कंपनी यदि अपने संपत्तियों को अपने क्रेडिटर्स को धोखा देने की नीयत से खुर्द-बुर्द करती है, तो अब वह ऐसा नहीं कर पाएगी। नए एक्ट में इस तरह के लेन-देन कानूनी रूप से अप्रभावी माने जाएंगे।
पहले कंपनी को लोन देने वाले या उधार माल देने वालों को अथवा सेवाएं देने वालों को अपने पैसे वसूलने के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता था। उसके बावजूद धनराशि वसूल नहीं हो पाती थी। किंतु अब इस कानून के बाद समयबद्ध और प्रभावी तरीके से उस राशि का वसूल करना संभव हो गया है।
सीए बनेंगे इंसॉल्वेंसी प्रोफेशनल
कोटा ब्रांच चेयरमैन सीए कुमार विकास जैन ने बताया कि देश के इंसॉल्वेंसी एक्ट 2016 में संशोधन हो जाने से लेनदारों के हित सुरक्षित रहेंगे। इसमें कोई भी सीए, सीएस, सीडब्ल्यूए जो 10 वर्ष से अधिक समय से सदस्य हैं, वे इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (आईबीओआई) की परीक्षा पास कर इंसॉल्वेंसी प्रोफेशनल की डिग्री ले सकते हैं। सीपीई चेयरमैन सीए आशीष व्यास ने बताया कि आज हर शहर में ऐसी कंपनियों की संख्या बढ़ रही है जो दिवालिया होने के बाद क्रेडिटर्स को पैसा नहीं चुका पाती है। इस एक्ट से उन पर रोक लगेगी।