बारां में बड़ां के बालाजी धाम में श्रीमद् भावगत ज्ञान गंगा महोत्सव में भव्य कलश यात्रा से हुआ शुभारंभ
न्यूजवेव @ बारां
मालवा के गौसेवक संत पं.प्रभूजी नागर ने शुक्रवार को बारां में बड़ां के बालाजी धाम परिसर में श्री महावीर गौशाला कल्याण संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव के प्रथम सोपान में कहा कि इस अनमोल मनुष्य जीवन को डिस्पोजल की तरह नहीं, सुपात्र बनकर जीना चाहिये। ईश्वर तक पहुंचने के लिये हमेशा अच्छाई के पात्र बनें। स्वयं के अंतःकरण से पूछें कि मेरे कर्म ईश्वर के लायक है या नहीं। जिस तरह मेहमानों को अच्छा भोजन व अच्छे कपडे देते हैं, उसी तरह अपने सत्कर्माें से ईश्वर के लायक बनने का प्रयास करें।
‘गवां दी कंचन सी काया, यही चिंता सताती है..’ भजन सुनाते हुये पं.नागरजी ने कहा कि व्यसन भी डिस्पोजल की तरह हमारे शरीर को दूषित कर रहे हैं। जीवन में तीन पाप व्याभिचार, हत्या व आत्महत्या के बारे में कभी मत सोचना। धृतराष्ट्र अंधा होने से कुछ गलत नहीं देख सके, इसीलिये भोगी होकर भी उन्हें 5 दिन में मुक्ति मिल गई। जबकि भीष्म पितामह ने द्रोपदी का चीरहरण देख लिया था, इसी दृष्टिदोष से उन्हें 56 दिनों तक बाणों की शैया पर रहना पडा। इसलिये दृष्टिदोष से बचें।
आज मोेबाइल बड़ा और मनोबल छोटा है
पं.नागरजी ने बढती आत्महत्याओं पर कहा कि जीवन में सब कुछ सहन कर लो, मनोबल बडा होगा तो आत्महत्या का विचार नहीं आयेगा। लेकिन आज मोबाइल से बहुत दृष्टिदोष हो रहे हैं। हमारा मोबाइल बड़ा और मनोबल छोटा होता जा रहा है। हम सुनना पसंद नहीं कर रहे हैं, सूली पर लटकना पसंद कर रहे हैं। थोडा सा विवाद होने पर शरीर छोड दिया तो वह भटकेगा। इसलिये जब भी विपत्ति आये तो हरि भक्ति से जुड़ जायें, परेशानियां दूर हो जायेंगी।
गुणवंत व श्रीमंत होना हमारे हाथ में
विशाल पांडाल में कथा सूत्र देते हुये उन्होंने कहा कि जीवन में चार सौभाग्य मिलते हैं। कुलवंत और धनवंत होना भगवान के हाथ में है लेकिन गुणवंत और श्रीमंत होना हमारे हाथ में होता है। कथा में भाया परिवार की तरह यजमान बनना गुणवंत व श्रीमंत बनने के समान है। उनकी पवित्र कौडी से पूरे क्षेत्र में श्री की सिद्धि हो जाती है।
गोपालन मंत्री को तुलसी माला पहनाई
गौसेवक संत पं.नागरजी ने कहा कि योग से बडा संयोग होता है। प्रदेश के गौपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया की पिछले 22वर्षों से गौ सेवाओं से प्रभावित होकर उन्होने व्यासपीठ से उन्हें तुलसी माला पहनाकर सम्मानित किया, जिसमें गौमाता भी हैं। उन्होंने आशीर्वाद दिया कि यह बड़ां के बालाजी का सिद्ध प्रसाद है, जिससे पूरे बारां जिले में हमेशा सुख-समृद्धि व शांति बनी रहेगी।
भक्ति का कोई ‘वार’ खाली न जाये
पूज्य नागर जी ने कहा कि जिस तरह सैनिक का कोई वार खाली नही जाता है, उसी तरह भक्त का भी कोई वार खाली नहीं जाना चाहिये। संकल्प करें कि मैं सप्ताह में हर वार हरि दर्शन अवश्य करूंगा। उन्होंने कहा कि मदर्स डे, फादर्स डे मनाना हमारी संस्कृति नहीं है। हर परिवार में माता-पिता की सेवा अखंड होती रहे तो हर जगह इतने वृद्धाश्रम नहीं खुलेंगे।
कथा सूत्र देते हुये पं. नागरजी ने कहा कि शुद्ध घी महंगा है लेकिन एक बाती मिल जाये तभी वह प्रकाश कर पाता है। सत्पुरूषों के पास आत्मज्ञान व ब्रह्मज्ञान है उसमें कथा प्रसंग बाती बनकर प्रकाश फैलाते हैं। उन्होंने कहा कि बड़ के वटवृ़क्ष में इतनी उदारता है कि वह नीचे जडें छोडता है, जिससे आसपास कई बड़ बन जाते है। जीवन में हमेशा बड़ की तरह बडों के आशीर्वाद लेकर आगे बढते रहो।