बड़ां के बालाजी धाम में श्रीमद् भावगत ज्ञान गंगा महोत्सव के दूसरे दिन उमड़ा भक्तों का सैलाब, विशाल पांडाल का विस्तार किया
न्यूजवेव @ बारां
मालवा के गौसेवक संत पं.प्रभूजी नागर ने बड़ां के बालाजी धाम, बारां में श्री महावीर गौशाला कल्याण संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञान गंगा महोत्सव के द्वितीय सोपान में कहा कि आज हरि के चक्र से ही हम सब सुरक्षित हैं। जन्म के सातवें माह में ईश्वर गर्भ में नवजात शिशु के हाथ की सभी उंगलियों व अंगूठे पर चक्र बनाकर हमें संसार में भेजते हैं। हमने ईश्वर से करार किया है कि जन्म लेकर मैं भक्ति अवश्य करूंगा लेकिन बडे़ होकर हम माया-मोह के समय चक्र में फंस गये। फिर विषयगामी होकर कालचक्र से घिर गये, जिससे ईश्वर के मूल चक्र को भूल रहेे हैं।
पूज्य नागरजी ने कहा कि आधार कार्ड अंगूठे के चक्र के निशान से ही बनता है। यदि हमारे हाथों में सातवें माह में यह ईश्वरीय चक्र नहीं बनाया होता तो हमारे आधार कार्ड अंगूठे के निशान के बिना कैसे बनते। इस चक्र से ही सम्पत्ति की रजिस्ट्री भी होती है। कथा के दूसरे दिन भक्तों की संख्या बढ़ जाने से पांडाल को दोनो ओर से बढाया गया है।
जीवन के रिश्तों की रस्सी होती है कच्ची
पं.नागरजी ने कहा कि जीवन के रिश्तों की रस्सी ज्यादातर कच्ची होती है। जो रस्सी बचपन में झूला झुलाती है, बडे़ होने पर माया-मोह में वही फांस बन जाती है। उन्होंने कहा कि चाय पत्ती कड़वी होती है लेकिन दूध-शक्कर मिलने पर मीठी हो जाती है। इसी तरह, संसार खारा है, इसमें भक्ति मिल जाये तो मिठास घुल जाती है।
‘गुण गाओ हनुमत के, अदभुत आनंद बरसे..’
विशाल पांडाल में उन्होंने सुमधुर भजन ‘गुण गाओ हनुमत के, अदभुत आनंद बरसे..’ सुनाते हुये कहा कि हनुमान केवल संत शिरोमणि कपि ही नहीं, कवि भी हैं। वे व्यास पर रहकर भी राम के सामने दास भाव में रहे। यही उनकी चमत्कारिक महिमा है। महाभारत में अर्जुन की नजरें हमेशा कृष्ण पर टिकी रहती थी, तब कृष्ण ने हनुमानजी को पुकारा कि आप कपि ध्वज बनकर मेरे रथ पर रहना, जिससे अर्जुन कहीं निशाना न चूक जाये। हनुमान ने अर्जुन को वही शक्ति प्रदान की। कथाओं की व्यासपीठ पर भी दासभाव दिखना चाहिये। बारां जिले पर भी बडा़ के बालाजी की कपि ध्वजा आनंद बरसा रही है।
सोने से पहले मंत्रों का जप करें
पूज्य नागरजी ने ‘बीत रहे दिन भजन बिना रे…’ भजन सुनाते हुये कहा कि रात्रि में सोते समय विषयों का चिंतन करने से वे प्रबल होकर हमें दोषी बना देते हैं। हम मोबाइल देखते-देखते ही सो जाते हैं। हम प्राप्त को पर्याप्त मान लें। हर रात्रि को जीवन का अंतिम क्षण मानकर ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ जैसे मंत्रो का जप करते हुये गहरी नींद लें। जो भगवान में दृष्टि रखेगा, उसे कभी ठोकर नहीं लगेगी। जप करेंगे तो सुबह उठकर आप उर्जावान दिखेंगे।
शास्त्र समुद्र और संत बादल की तरह
उन्होंने महासूत्र देते हुये कहा हमारे शास्त्र समुद्र हैं और संत बादल हैं। समुद्री पानी खारा है तो बादल उसे मीठा कर देते हैं। ठीक उसी तरह, संत शास्त्रों से क्षारांस को हटाकर ब्रह्मज्ञान का आध्यात्म रूपी मीठा सारांश भक्तों को परोस देते हैं। इसीलिये कथा-सत्संग में भक्ति का अमृत बरसता है। उन्होंने कहा कि दिल और दिमाग को हमेशा अलग-अलग रखो। कथाओं में दिल से बावरे बनकर गुणानुवाद करने से ठाकुरजी रीझ जाते हैं।
इन तीनो से मिलता है सौभाग्य
पं.नागरजी ने कहा कि जीवन में यदि शीलवान पति-पत्नी, आज्ञाकारी संतान और समर्थ गुरू मिल जाये तो सौभाग्य के सारे द्वार खुल जाते हैं। अच्छा पुत्र वही है जो अपने माता-पिता को कभी आंसू न आने दे। भगवान महावीर ने गर्भ में कोई करवट तक नहीं ली थी ताकि मां को कोई पीडा न हो। फिर जन्म लेकर कहा कि मेरा अवतार संसार हित में है लेकिन माता-पिता के होते हुये मैं सन्यास नहीं लूंगा। हमने प्रसव के दौरान मां को जो पीडा दी है, वैसी पीडा जीवन में मां को कभी मत देना। तीसरा, गुरू समर्थ व सौम्य मिल जाये तो वे शिष्य का मनोबल कभी टूटने नहीं देते हैं।
विराट कथा पांडाल में शनिवार को प्रदेश के गौपालन व खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया, जिला प्रमुख उर्मिला जैन भाया, यश जैन भाया ने हजारों श्रद्धालुओं के साथ श्रीमद् भागवत की महाआरती की। पारख-कोठारी परिवार ने बाहर से आने वाले हजारों भक्तों का स्वागत किया।
भाया दम्पत्ति ने किया ‘अतिथी देवो भवः’ जैसा सत्कार
गौसेवक संत प. प्रभूजी नागर के श्रीमुख से श्रीमद भागवत कथा में ओजस्वी प्रवचन सुनने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु 10 से 16 फरवरी तक बडां के बालाजी धाम में रहेंगे। इसके लिए भाया दम्पत्ति ने अथिति देवो भवः के रूप में उनके ठहरने व भोजन प्रसादी की निशुल्क व्यवस्था कथा स्थल पर की है। ये गो भक्त रोजाना रात्रि में सामूहिक भजन-कीर्तन भी करते हैं। गोभक्तों को गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया एवं जिला प्रमुख उर्मिला जैन भाया रोज अपने हाथों से भोजन परोस रहे हैं। ऐसे सत्कार से बड़ा के बालाजी धाम में तीर्थस्थल जैसा वातावरण दिखाई दे रहा है।