Thursday, 12 December, 2024

चंबल घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र में रिवर फ्रंट निर्माण अवैधानिक- गुंजल

कोटा उत्तर के पूर्व विधायक ने उठाई आपत्ति। निर्माण के लिये सुुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सक्षम समिति की अनुमति नहीं ली गई
न्यूजवेव @ कोटा

कोटा उत्तर के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने घडियाल सेंचुरी में 1421 करोड़ रू की लागत से नवनिर्मित चंबल रिवर फ्रंट के निर्माण को अवैधानिक करार दिया है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि सुप्रीम कोर्ट एवं राजस्थान हाईकोर्ट के निर्णयो तथा भारत सरकार के वन पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश के अनुसार सेंचुरी क्षेत्र की 10 किमी परिधि में कोई भी निर्माण कार्य सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सक्षम समिति के अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है।


उन्होंने कहा कि चंबल रिवर फ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया द्वारा यह बताया गया था कि चंबल रिवर फ्रंट नदी के जिस भाग में स्थित है वह घड़ियाल सेंचुरी है, इसलिए क्रोक्रो के लोगों ने मुख्य किरदार घड़ियाल लिया है। इससे स्पष्ट है कि चंबल रिवरफ्रंट का निर्माण घड़ियाल सेंचुरी में ही किया गया है। राजस्थान सरकार ने अधिसूचना दिनांक 7 दिसंबर,1979 को चंबल घड़ियाल सेंचुरी को अधिसूचित किया हुआ है। जिसके अनुसार चंबल नदी के दोनों किनारो पर 100-100 मीटर तक का क्षेत्र चंबल घड़ियाल सेंचुरी के अंतर्गत अधिसूचित है। 3 सितंबर,1983 की अधिसूचना में चंबल घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र को नदी के दोनों किनारो पर 1000 हजार मीटर तक का क्षेत्र चंबल घड़ियाल सेंचुरी अधिसूचित कर दिया गया है।
कंेद्रीय वन पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 9फरवरी, 2011 को जारी दिशा निर्देश में सेंचुरी के 10 किमी क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है। इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की स्टैंडिंग कमेटी की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त किसी भी निर्माण से पूर्व पर्यावरण स्वीकृति लेना अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की गठित सक्षम कमेटी से पूर्वानुमति लेना भी आवश्यक है।
बफर जोन में स्थाई निर्माण की अनुमति नहीं
गुंजल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने टी एन गोदावर्मन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में 3 जून,2022 को निर्णय में स्पष्ट किया कि प्रत्येक संरक्षित वन, राष्ट्रीय अभ्यारण, वन्य जीव अभ्यारण की सीमा के उपरांत एक निर्धारित दूरी को इको सेंसेटिव जोन बनाया जाना आवश्यक है। जिन राष्ट्रीय अभ्यारण के लिये राज्य सरकार द्वारा इको सेंसेटिव जोन निर्धारित नहीं किए गए वहां 10 किमी क्षेत्र का बफर जोन बनाया जाना आवश्यक है। इको सेंसेटिव जोन अथवा बफर जोन में किसी स्थाई निर्माण की अनुमति प्रदान नहीं की जा सकती। नदी या तालाब के बफर जोन में प्रभावित क्षेत्र में कोई निर्माण नहीं किया जा सकता, अगर किया जाता है तो ध्वस्त किए जाने योग्य होगा।
उक्त निर्णय में यह भी उल्लेख है कि वेटलैंड अथवा नदी के किनारे पर किसी भी प्रकार की व्यवसायिक गतिविधि का संचालन नहीं किया जा सकता है। यहां तक की फुटपाथ का भी निर्माण नहीं कराया जा सकता है।
यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना
प्रहलाद गुंजल ने कहा कि भारत सरकार के वन पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन्य जीव खंड ने 1 जुलाई, 2023 को राजस्थान सरकार के मुख्य वन्य जीव संरक्षक जयपुर को पत्र लिखकर सूचित किया कि राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र के इको सेंसेटिव जोन में किया गया निर्माण पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 एवं वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों का घोर उल्लघंन है। इस संबंध में राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की स्थाई कमेटी की कोई पूर्वानुमति भी प्राप्त नहीं की गई है। यह गतिविधि सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है।
साथ ही, राजस्थान सरकार के मुख्य जीव संरक्षण को जिम्मेदार अधिकारियों एवं प्राधिकारियों के विरुद्ध अविलम्ब आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे किंतु स्थानीय मंत्री के दबाव में मुख्य वन्य जीव संरक्षक द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस अवैधानिक रिवर फ्रंट का उद्घाटन कर स्वयं विधी के प्रावधानों का उल्लंघन करने जा रहे हैं। यह संविधान की शपथ का स्पष्ट उल्लंघन है।
ब्रांड एंबेसडर बनाना फिजूल खर्ची
गुंजल ने ब्रांड एंबेसडर बनाने के लिए दीपिका पादुकोण व रणवीर सिंह को लाखों रुपए देकर जनता के धन की बर्बादी की जा रही है। हाल में कोटा की बेटी नंदनी गुप्ता ने फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीता है उसे इसका अवसर दिया जाना चाहिए था।

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