अ.भा. मेड़तवाल वैश्य समाज की सिद्धपाठ खैराबादधाम में गोपाष्टमी पर धार्मिक मेले जैसा उत्साह
न्यूजवेव @ रामगंजमडी
अखिल भारतीय मेड़तवाल (वैश्य) समाज की सिद्धपीठ श्रीफलौदी माता मंदिर, खैराबाद में गोपाष्टमी पर विराट अन्नकूट महोत्सव पारम्परिक उल्लास से सम्पन्न हुआ। मंदिर परिसर में गर्भगृह से बाहर स्वर्ण सिंहासन पर विराजित श्री फलौदी माता के सम्मुख 56 भोग का अन्नकूट सजाया गया। देशभर से 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने सपरिवार दर्शन व पूजा अर्चना की।
श्रीफलौदी माता मंदिर के व्यवस्था संयोजक मोहनलाल चौधरी, समाज के राष्ट्रीय महामंत्री विष्णु प्रसाद करोडिया मंडावर एवं अन्नकूट संयोजक बालमुकुंद गुप्ता थानेदार व मूलचंद गुप्ता ने बताया कि समाज में अन्नकूट दर्शन का पौराणिक महत्व है। इस दिन मां फलौदी वरद मुद्रा में सबकी मनोकामना पूरी करती हैं। पारम्परिक ढोल-नगाडों के साथ समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कैलाश नारायण गुप्ता टाटा वाले परिवार ने बड़ी आरती की। इसके बाद सेवकों ने कपूर आरती, स्वर्ण चंवर, चांदी चंवर, चांदी छडी एवं हार माला सेवा से आराधना की। अ.भा. नवयुवक संघ के अध्यक्ष सागर भंडारी गोलू एवं महामंत्री नितेश गुप्ता ने बताया कि समाजबंधुओं ने मां फलौदी से हर वर्ग की सुख-शांति एवं समृद्धि की कामना की। अविवाहित युवक-युवतियों ने कुलदेवी मां फलौदी के दर्शन कर अच्छे जीवनसाथी के लिये मन्नते मांगी।
पांच भामाशाहों को किया सम्मानित
अन्नकूट महोत्सव में मां फलौदी के गर्भगृह के द्वार को स्वर्ण से श्रंगारित करने पर बालकृष्ण दाख, इंदौर को, मां फलौदी के स्वर्ण सिंहासन के लिये मे. शिवनारायण पूनमचंद गुप्ता, भवानीमंडी के गोविंद जुलानिया को, फलौदी माता को हीरा जडित स्वर्ण हार से आभूषित करने पर कमलादेवी मदनलाल दलाल कोटा को, मां फलौदी को स्वर्ण हार से आभूषित करने पर शिल्पादेवी जेपी गुप्ता रामगढ वाले एवं मां फलौदी के सम्मुख स्वर्ण कलश अर्पित करने पर मोहनलाल गुप्ता एवं पुत्र सीए समरेश गुप्ता कोटा को समाज की केंद्रीय कार्यकारिणी द्वारा प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
समाज के सहमंत्री पुरूषोत्तम चौधरी व दिलीप गुप्ता जुल्मी वाले ने बताया कि मंदिर में सामूहिक महाआरती के बाद श्रीफलौदी सेवा सदन में 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओ ंने महाप्रसादी ग्रहण की। मेडतवाल समाज की सभी पंचायतों में रहने वाले समाजबंधुओं को अन्नकूट प्रसादी के पैकेट स्थानीय पंचायतों के माध्यम से पहुंचाये जायेंगे। मेडतवाल समाज की परंपरा के अनुसार कोई भी भक्त महाप्रसादी की पत्तल में झूठन नहीं छोडते हैं।