Tuesday, 6 May, 2025

छबड़ा व कालीसिंध सुपर थर्मल का विनिवेश नहीं – मुख्यमंत्री

न्यूजवेव कोटा

हाडौती के दो बडे़ बिजलीघरों छबड़ा एवं कालीसिंध सुपर पावर स्टेशन के विनिवेश पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी है। बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित राज्य मंत्रिमंडल व मंत्रिपरिषद की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुये मुख्यंत्री अशोक गहलोत ने स्पष्ट किया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने दोनों बिजलीघरों के विनिवेश का निर्णय लिया था। लेकिन छबडा व कालीसिंध ताप बिजलीघरों की परिचालन व कार्यक्षमता तथा वित्तीय घाटे में उल्लेखनीय सुधार होने के कारण राज्य केबिनेट ने दोनों पावर स्टेशनों के निजी क्षेत्र में विनिवेश नहीं करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है।

प्रदेश कांग्रेस के महासचिव पंकज मेहता ने कहा कि वसुंधरा सरकार ने दो वर्ष पूर्व हाडौती के दो बडे़ पावर स्टेशनों को निजी क्षेत्र के हाथों में सौंपने की कूटनीति अपनाई थी, उसके बाद दोनों बिजलीघरों में कार्यरत अभियंताओं, कर्मचारियों व श्रमिकों ने अथक प्रयासों से सर्वश्रेष्ठ बिजली उत्पादन कर लाभ की स्थिति में लाने का प्रयास किया। दोनों बिजलीघरों के विनिवेश की नीति से कोटा सुपर थर्मल पावर प्लांट पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे थे। अगस्त,2017 में थर्मल अभियंताओं व कर्मचारियों ने पूर्व सरकार के निर्णय के खिलाफ सडकों पर आंदोलन किया था। कांग्रेस ने उस समय बिजलीघरों की विनिवेश प्रक्रिया को निजी क्षेत्र के हित में लिया निर्णय बताया था। अब गहलेात सरकार ने विनिवेश नहीं करने का प्रस्ताव पारित कर सारी अटकलों पर रोक लगा दी है, जिससे अभियंताओं, कर्मचारियों व श्रमिकों में खुशी की लहर दौड़ गई।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 30 जून को छबडा में दो सुपर क्रिटिकल इकाइयों का लोकार्पण करने आ रहे है। इन दिनों इंजीनियर्स एसोसिएशन द्वारा 135 पदों को बहाल करने की मांग को लेकर कालीसिंध, छबडा व कोटा थर्मल के अभियंता मुख्यमत्री को ज्ञापन देने वाले थे। लेकिन राज्य सरकार के इस निर्णय से उम्मीद बंधी है कि राज्य सरकार द्वारा गठित कमेटी रद्द तकनीकी पदों को फिर से सृजित करने जैसा सकारात्मक कदम उठाएगी।

कालीसिंध व छबड़ा थर्मल बिजली उत्पादन में आगे

1200 मेगावाट क्षमता के कालीसिंध सुपर थर्मल की 600-600 मेगावाट की दो इकाइयों की लागत 9479.51 करोड़ रूपये है, जिसमें 1846 करोड़ शेयर पूंजी राज्य सरकार की है अर्थात् 400 प्रतिशत इक्विटी अनुपात राज्य सरकार का है। 564 हैक्टेयर में बने इस सुपर पावर प्लांट में 275 मीटर उंची चिमनी है जो एशिया की सबसे उंची है। गत वर्ष दोनों इकाइयांे से 7575.80 मिलियन यूनिट बिजली पैदा की गई।  इसी तरह, 1000 मेगावाट क्षमता के छबड़ा सुपर थर्मल प्लांट में 250 मेगावाट की चार इकाइयों से 2012-13 से बिजली उत्पादन किया जा रहा है। अब इकाई सुपर क्रिटिकल प्लांट में पांचवी व छठी इकाई 660-660 मेगावाट क्षमता की होंगी। जिससे कुल क्षमता 2320 मेगावाट हो जाएगी।

ऑडिट रिपोर्ट-सरकारी प्लांटों का विनिवेश आत्मघाती
भारतीय लेखा व महानिरीक्षक (सीएजी) की ऑडिट रिपोर्ट में राज्य विद्युत उत्पादन निगम के सभी पॉवर प्लांटों का विनिवेश करना आत्मघाती कदम बताया था। 17 फरवरी,2017 को उर्जा विभाग के प्रमुख शासन सचिव को दी गई ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया कि राज्य सरकार व आरवीयूएनएल अपने संयंत्रों से सस्ती बिजली की उपलब्धता को देखते हुए उनके ऑपरेशन सिस्टम को पुनगर्ठित व मजबूत करे। अर्नेस्ट एवं यंग कंपनी की सिफारिश पर राज्य सरकार व आरवीयूएनएल ने कालीसिंध एवं छबड़ा थर्मल में राज्य सरकार की इक्विटी को किसी सरकारी या निजी कंपनी में विनिवेश करने के लिये 23 फरवरी,2016 को भाजपा सरकार ने इसे स्वीकृति दे दी थी, जिस पर बुधवार को गहलोत सरकार ने रोक लगा दी है।

(Visited 550 times, 1 visits today)

Check Also

IPV Ideaschool Opens application for 3rd Edition of Accelerator Programme

Final 5 startups stand to get Rs 1 Crore each as pre-seed funding from IPV  …

error: Content is protected !!