Saturday, 27 April, 2024

अपनी कठिनाइयों से फाइटर की तरह लडना सीखो – केप्टन योगेंद्र सिंह

मोटिवेशनल सेशन ‘योद्धा’ : कोटा में कोचिंग विद्यार्थियों से कहा, अपने सपने को आत्मा से जोडकर पढ़ो और जीयो

अरविंद

न्यूजवेव @ कोटा

परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर ऑनरेरी केप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने कोटा में कोचिंग विद्यार्थियों से खुले संवाद में कहा कि आप भी एक सैनिक की तरह फाइटर बनकर अपनी परीक्षा की तैयारी करें। हर रोज अपने सपने को पूरे जोश के साथ जीएं। हर कठिनाई से योद्धा की तरह लडना सीखो।
एलन कॅरिअर इंस्टीट्यूट के मोटिवेशनल सेशन ‘योद्धा’ (Yodhha) में उन्होंने बताया, मैने कक्षा-6 में फौजी बनकर युद्ध लड़ने का सपना देखा था। मैं आत्मा (Soul) के साथ उस ख्वाब को जीता रहा। हमारी आत्मा में ईश्वर का अंश होता है, जो हमें आगे बढने की शक्ति देता है। मैं 16 साल 5 माह की उम्र में फौजी बन गया। 9 माह की ट्रेनिंग के दौरान कमांडर ने हमें खूब तपाया। 4 जुलाई,1999 को 19 वर्ष की उम्र में मुझे कश्मीर में पहली पोस्टिंग मिली। ऐसा लगा जैसे मुझे मेरा सपना पूरा करने का अवसर मिला हो। उन दिनों पाकिस्तान की शह पर कश्मीर में उग्रवाद और दशहतगर्दी चरम पर थी।
केप्टन यादव ने कहा कि आज 24 साल बाद भी हमें कारगिल युद्ध करते हुये 90 डिग्री सीधी और उंची चट्टानें आंखों के सामने दिखाई देती है। युद्ध में रोज नई चुनौतियां पहाड़ जैसी थी। माइनस 20 से माइनस 60 डिग्री तापमान में बस आगे ही बढना था। हम तीन जवान लगातार 22 दिन भूखे रहकर भी हिम्मत नहीं हारे। टाट की बोरियों से लिपटी पूरियों की परतें पानी में घोलकर पी लेते थे।
असंभव को ‘हो जायेगा’ कहकर संभव किया

उन्होंने कहा, एक सैनिक की जीवन रेखा ईसीजी (ECG) की तरह होती है। उसे हर पल नई चुनौतियों से लडते हुये चलना होता है। हमारी टुकड़ी को अपने साथियों को सामान पहुंचाना था। हमारे सामने 17 हजार फीट उंची टाइगर हिल पर विपरीत हालातों में चढ़ते रहने की चुनौती थी। बर्फीली पहाडी के दूसरे छोर से पाक बंकरों से लगातार गोलियों की बौछारें जारी रही। चट्टानों के नीचे बंकरों में छिपे पाक सैनिकों को मारना बडी चुनौती थी। हर असंभव दिखने वाले कार्य को हमने ‘हो जायेगा’ कहकर संभव कर दिखाया। पाक की एक कंपनी में 150 जवान और हमारी कंपनी में 7 जवान ही शेष थे। उस दिन 5 घंटे लगातार युद्ध चला। मेरे साथियों को आंखों के सामने गोलियां लगती रही। एक-एक करके शहीद हो गये। चारों ओर मौत से सामना करना था। मैं हताश नहीं हुआ। युद्ध के दौरान भारतीय सेना की एक टुकडी के 10 में से 9 जवान भी शहीद हो जाये तो 10वां फौजी सीना तानकर अंतिम सांस तक लडता है।

15 गोेलियां खाकर आहत हुआ पर हताश नहीं
भारत माता ने अपने सीने पर दूध पिलाकर हमें यौद्धा बनाया था, हम जानते थे कि उस सीने पर गोली खा लेना अच्छा है लेकिन कभी पीठ मत दिखाना। हर भारतीय शहीद को देख लेना, दुश्मन की गोली उसके सीने में लगी होती है, पीठ पर नहीं। मैने वही किया। मन और मस्तिष्क में संकल्प कर लिया कि मेरे साथियों के बलिदान को देशवासियों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मुझ पर है। युद्ध करते हुये मेरे एक हाथ व पैरों में 15 गोलियां लगी। आहत हुआ पर हताश नहीं। तब मन और मस्तिष्क से सिर्फ आगे बढने का दृढ़ संकल्प याद कर लिया। उसी साहस की बदौलत आज आपके सामने खडा हूं।
वो पल आज भी आंखों में तैरते हैं…

नम आंखों से केप्टन यादव ने बताया कि पाक सैनिकों ने उंची पहाडी पर हमारे मृत सैनिकों को पैरों से कुचलकर देखा कि कोई जिंदा तो नहीं है। वे यह सोचकर पीछे चल गये कि हम सब मर चुके हैं। तभी मैने घायल अवस्था में लडखडाते हुये एक हाथ से पाक बंकर पर हेंड ग्रेनेड फेंका। फिर उसी हाथ से गोलियां चलाकर बैंकर में छिपे पाक सैनिकों को मार गिराया। पीछे हमारी सेना की दूसरी टुकडी गोलियों की बौछारें करती आगे आ रही थी, उन्हें देख पाक सैनिक भाग खडे हुये। पाक बंकर को हमने कब्रिस्तान बना दिया था। फिर हम सब जवानों ने मिलकर सबसे उंची टाइगर हिल्स पर तिरंगा लहराया। याद रहे, कारगिल युद्ध में हमारे 527 वीर शहीदों ने बलिदान दिया है लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के 6500 जवानों को मौत के घाट उतारा भी है।
मन टूटने लगे तो अपने आप से कनेक्ट हो जाओ
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा, आप शेर और शेरनी की तरह हो। जब भी आपका मन टूटने लगे तो बस, अपने आप से कनेक्ट हो जाओ। जीवन की डोर किसी ओर को नहीं सौंपे। आप यौद्धा बनें। हमारा शरीर तो एक साधन मात्र है। मोबाइल से दूर होकर आत्मा से बात करेंगे तो भावनाओं और संवेदनाओं का सागर उमडने लगेगा। आत्मा से जुडकर आपको आंतरिक उर्जा और आत्मविश्वास मिलेगा। आप पढाई करते समय एक सैनिक को याद करके फाइटर बन जाना, आपकी जीत ही होगी। अंत में ये पंक्तियां सुनाकर उन्होंने युवाओं में देशभक्ति का जज्बा पैदा किया- ‘सांसो के तराने हिंद का नव गान गायेगा, हमारी शौर्य ध्वजा लेकर क्षितिज में वो चंद्रयान गायेगा, हमारे लहू का हर कतरा हिंदुस्तान गायेगा। ’
केप्टन यादव एलन (ALLEN) के 16 प्रेरक सत्रों में 25 हजार से अधिक कोचिंग विद्यार्थियों को देशभक्ति से जोड चुके हैं। वे इन दिनों कोटा में देशभर के 1.25 लाख विद्यार्थियों को सपने सच करने का विजयी मंत्र सिखा रहे हैं। एलन के निदेशक नवीन माहेश्वरी, सीनियर वाइस प्रेसीडेंट सी.आर. चौधरी, वाइस प्रेसीडेंट विजय सोनी ने उनका अभिनंदन किया।
विद्यार्थियों के लिये 10 विजयी मंत्र-

  • परपज (Purpose), पैशन (Passion) और परफॉर्मेंस (Performance )इन तीन ‘P’ के साथ अपने सपने को जीयें।
  • जब चारों ओर से चुनौतियों से घिर जायें तो मन के रथ को सारथी रूपी माता-पिता के हवाले कर दें। वो हर चुनौती से पार करवा देंगे।
  • किसी एक टेस्ट में आउटपुट कम आये तो बॉडी (Body) और ब्रेन (Brain) को बेलेंस करके चलें।
  • शिक्षक नॉलेज को हमारे मस्तिष्क में ट्रांसफार्म (Transform) करते हैं, सवालों के जवाब तो हमारे अंदर ही छिपे होते हैं।
  • समय बेशकीमती है, जो इससे कदम मिलाकर चलता है वो कामयाब होता है।
  • जीवन की डोर किसी अनजान को नहीं सौंपें, आप योद्धा बनकर कठिनाइयों से लडना सीखें।
  • मन टूटने लगे तो खूब रोकर या हंसकर मोबाइल से दूर आत्मा (Soul) से जुडने की कोशिश करो।
  • आत्मा से जुडकर आंतरिक एनर्जी और आत्मविश्वास महसूस करेंगे।
  • हम मोबाइल या रील बनाने से दूर होकर बस अपने सपने से कनेक्ट हो जायें।
  • एक फाइटर बनकर अपनी तैयारी करें, आपकी जीत अवश्य होगी।
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